बुधवार, 18 दिसंबर 2019

NDTVऔर रवीशकुमार

10-12 साल पुरानी बात है,सुबह सुबह जब मैं अखवार पढ़ रहा था,तभी अचानक दिल्ली से मेरे पुत्र डॉ. प्रवीण तिवारी (जर्नलिस्ट एवं टीवी एंकर) का फोन आया!
'बधाई हो पापा'-उधर से आवाज आई!
मैने सोचा कि शायद प्रवीण ने प्रकाशन के लिये विलंबित मेरी पांडुलिपि प्रकाशित करवा दी हो या उसकी ही कोई नयी पुस्तक प्रकाशित हुई हो!अत: खुश होते हुए :-
मैने उत्तर दिया-अरे वाह! शाबाश!!!
किंतु जब प्रवीण ने बताया कि किसी राष्ट्रीय अखवार के फ्रंट पेज पर बोल्ड कॉलम में आपकी भूरि भूरि प्रशंसा की गई है,और लिखने वाले हैं -रवीशकुमार!
तो मैने कहा:- 'मैंने रवीशकुमार का नाम तो कहीं पढ़ा सुना है किंतु निश्चय ही हम एक दूसरे को कतई नही जानते!देश के ख्यात अखवार में रवीश ने जिनकी तारीफ लिखी है,वे श्रीराम तिवारी कोई और होंगे!क्योंकि मेरा उस नामी गिरामी अखवार या श्रीमान रवीशकुमार से कोई लेना देना नही!'
प्रवीण ने बताया :- 'पापा मैने अखवार वालों और रवीशकुमार से भी तफशीश कर ली है, जिसके बारे में ही लिखा गया है, वह आप ही हैं! चूँकि आप नियमित क्रांतिकारी ब्लागर हैं और रवीश कुमार टीवी एंकर के अलावा उस अखवार के फ्रीलाँस कॉल्मनिस्ट भी हैं,चूँकि उनकी विचारधारा भी प्रगतिशील -वामपंथी है,अत: उन्होंने आपके ब्लॉग-: www.janwadi.blogspot.com में कई आर्टिकल पढ़े हैं,और वे आपके मुरीद हो गये हैं'
मैने खुश होकर रवीश को धन्यवाद दिया और बेटे प्रवीण से कहा कि अखवार में प्रकाशित 'प्रशंसा पत्र' की कटिंग भेज दे!
बेटे ने कटिंग भेज दी और लगे हाथ उसकी स्कैन कापी भी मेरे ब्लॉग के मुखपृष्ठ पर जड़ दी!जो अबएक ऐतिहासिक दस्तावेज जैसी है!
उसके उपराँत मेरे तीन पसंदीदा एंकर हो गये- बेटा प्रवीण,पुत्रबधू अर्चना और रवीश!समय निकालकर मैं रवीशकुमार को टीवी पर ज्यादा देखने सुनने लगा!
किंतु 2014 में संपन्न भारत की भगवा प्रतिक्रांति के बाद 'संघ'द्वारा NDTV और रवीशकुमार के साथ अछूत जैसा व्यवहार किया जाने लगा!इंदौर के भगवा क्षेत्रों के और खास तौर से मैं जिस 2- नंबर क्षेत्र में रहता हूँ,उस एरिया में कोई भी केबल ऑपरेटर NDTV चैनल चलाने को तैयार नही था! हमारे सतत प्रयास से जैसे तैसे एक केबल ऑपरेटर महोदय बड़ी मिन्नत खुशामद के बाद NDTV चलाने को तैयार भी हुए! धीरे धीरे मेरे इर्द गिर्द पास पड़ोस के नर नारी NDTV और रवीश के मुरीद भी बन गये!
किंतु जैसा कि सुविदित है कि अति हर चीज की बुरी होती है,वैसा ही NDTV और रवीश के साथ हुआ! धारा-370 और CAB/NRC के संदर्भ में उनके एकपक्षीय अतिवादी रवैये से तमाम लोगों का मोह भंग हो गया है और वे शिकायत भी करने लगे हैं!
"कि NDTV और रवीश तो विपक्ष से भी ज्यादा विरोध की राजनीति कर रहे हैं! सारे चैनल एक तरफ हैं जो केवल सरकार की भाषा बोलते हैं और NDTV दूसरी तरफ है, जो केवल सरकार के विरोध की भाषा बोलता है!जन मानस का विवेक कहता है कि 'लोकतंत्र में पत्रकारों और टीवी चैनल्स को तटस्थ भूमिका अदा करना चािये!"

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