भारत में अन्याइयों और व्यभिचारियों से लड़ने के दो अलग अलग मापदंड हैं! संविधान को ताक पर रखकर कोई गरीब शोषित आदिवासी जब किसी अन्यायी अत्याचारी और दुष्कर्मी के खिलाफ बंदूक उठाता है तो उसे 'नक्सवादी' या माओवादी कहते हैं,आनन फानन उसे देशद्रोही मानकर गोली से उड़ा देने का फरमान जारी हो जाता है!
किंतु संविधान को ताक पर रखकर किसी राज्य की पुलिस जब किसी दुष्कर्मी या अपराधी को गोलियों से भून देती है तो उन पुलिस वालों के जिंदाबाद के नारे लगाये जाते हैं,संविधान की खिल्ली उडाई जाती है और संविधान की अवमानना करने वालों पर पुष्पवर्षा की जाती है!
यह मिडिल क्लाश की दोगली मानसिकता है!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें