रविवार, 29 दिसंबर 2019

दगाबाज को जिन्दा रहने का कोई हक़ नहीं!

किसी￰ बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था.
उसके पास एक बड़ी सी जाली वाली बक्से में बहुत सारे तीतर थे,और एक छोटे से बक्से में सिर्फ एक तीतर.
किसी ग्राहक ने उससे पूछा एक तीतर कितने का है?
तो उसने जवाब दिया, एक तीतर की कीमत 40 रूपये है!
ग्राहक ने दूसरे बक्से में जो तन्हा तीतर था उसकी कीमत पूछी तो तीतर वाले ने जवाब दिया,अव्वल तो मैं इसे बेचना ही नहीं चाहूंगा, लेकिन अगर आप लेने की जिद करोगे तो इसकी कीमत 500 रूपये होगी.
ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा, इसकी कीमत 500 रु.क्यों?
इस पर तीतर वाले का जवाब था, ये मेरा अपना पालतू तीतर है! और दूसरे तीतरो को जाल में फसाने का काम करता है और दूसरे सभी फंसे हुए तीतर है! ये चीख पुकार करके दूसरे तीतरो को बुलाता है और दूसरे तीतर बिना सोचे समझे एक जगह जमा हो जाते है और फिर मैं आसानी से शिकार कर पाता हूँ! इसके बाद फंसाने वाले तीतर को उसके मन पसंद की खुराक दे देता हूँ, जिससे ये खुश हो जाता है बस इस वजह से इसकी कीमत ज्यादा है!
बाजार में एक समझदार आदमी ने उस तीतर वाले को 500 रूपये देकर उस तीतर की सरे बाजार गर्दन मरोड़ दी!
किसी ने पूछा, आपने ऐसा क्यों किया?
उसका जवाब था, ऐसे दगाबाज को जिन्दा रहने का कोई हक़ नहीं जो अपने मुनाफे के लिए अपने समाज को फंसाने का काम करे और अपने ही लोगो को धोखा देता है...!
समझो और समझाओ !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें