शुक्रवार, 8 जून 2018

नूतन युग का उदयगान by shriram tiwari

  • बुद्धि बल पौरुष और सत्ता यदि,
    किसी कमजोर के काम आ जाये ।
  • स्वस्थ्य जवानी यदि किसी देश की ,
    सीमाओं पर बल-पौरुष दिखलाये ।।
  • हो सत्य-न्याय का सिंहनाद -मानव,
    सर्वहारा क्रांति के गीत गाता जाये!
  • कृषकाय युवा खेतों को देकर अपना,
    तन मन यौवन और श्रम स्वेद बहाए ।।
  • जीवन यापन संघर्षों में अडिग रहे,
    और न कोई पथ विचलन हो पाए ।
  • लोभ-लालच की भृष्ट व्यवस्था का,
    जनकवि लेखक पुर्जा न बन जाए ।।
  • इतिहास पुरुष कहते इसको क्रांति
    और नूतन युग का उदयगान गाते हैं ।
  • त्रिकालज्ञ योगीजन शायद इसको,
    परमात्मा का अनुशासन कहते हैं।।

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