- बुद्धि बल पौरुष और सत्ता यदि,
किसी कमजोर के काम आ जाये । - स्वस्थ्य जवानी यदि किसी देश की ,
सीमाओं पर बल-पौरुष दिखलाये ।। - हो सत्य-न्याय का सिंहनाद -मानव,
सर्वहारा क्रांति के गीत गाता जाये! - कृषकाय युवा खेतों को देकर अपना,
तन मन यौवन और श्रम स्वेद बहाए ।। - जीवन यापन संघर्षों में अडिग रहे,
और न कोई पथ विचलन हो पाए । - लोभ-लालच की भृष्ट व्यवस्था का,
जनकवि लेखक पुर्जा न बन जाए ।। - इतिहास पुरुष कहते इसको क्रांति
और नूतन युग का उदयगान गाते हैं । - त्रिकालज्ञ योगीजन शायद इसको,
परमात्मा का अनुशासन कहते हैं।।
शुक्रवार, 8 जून 2018
नूतन युग का उदयगान by shriram tiwari
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