शुक्रवार, 29 जून 2018

जनता की शामत आयेगी....!

  • चालचरित्र चेहरे की कालिख,क्या साबुन से धुल पाएगी,
    बड़बोले बकरों की अम्मा,कब तक खैर मनाएगी ?
    खरदूषण निशिचर भगनी हों,राक्षस कुल की सूर्पनखायें ,
    लोकतंत्र की पंचवटी में,अब मृगया काम न आयगी ।
    छद्मवेश सत्ताधारी समझेंगे कब अपनी जन वैदेही को,
    तनी हुई ये भृकुटि काल की,क्या लंकाकाण्ड करायेगी?
    पूंजीवाद और धर्मान्धता दोनों हैं कुम्भकरण रावण जैसे ,
    यदि अच्छे दिन आये इनके,तो जनता की शामत आयेगी! 
  • जनता की शामत आयेगी....! 

श्रीराम तिवारी

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