- स्वतंत्रता के भीषण रण में,आशाओं के दीप जले ।
धर्मनिपेक्ष-समाजवाद के ,लोकतंत्र के नीड पले ।।
जाति पाँति भाषा-मजहब के,जब शैतानी तीर पगे!
राजनीति की क्यारी में तब ,खरपतवार बबूल उगे।।
गिद्धबाज चमगादड़ डोलें,बोलें चमन हमारा है । ...
इसीलिये तो आधा भारत,भूँख प्यास का मारा है ।।
निर्धन युवकों का यौवन,अब खटता मारा मारा है ।
अमर शहीदों ने जो चाहा,क्या वह वतन हमारा है।।
श्रीराम तिवारी
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