शुक्रवार, 15 जून 2018

  • स्वतंत्रता के भीषण रण में,आशाओं के दीप जले ।
    धर्मनिपेक्ष-समाजवाद के ,लोकतंत्र के नीड पले ।।
    जाति पाँति भाषा-मजहब के,जब शैतानी तीर पगे!
    राजनीति की क्यारी में तब ,खरपतवार बबूल उगे।।
    गिद्धबाज चमगादड़ डोलें,बोलें चमन हमारा है । ...
    इसीलिये तो आधा भारत,भूँख प्यास का मारा है ।।
    निर्धन युवकों का यौवन,अब खटता मारा मारा है ।
    अमर शहीदों ने जो चाहा,क्या वह वतन हमारा है।।
    श्रीराम तिवारी

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