शनिवार, 2 जून 2018

बड़ी कोफ्त होती है,जब कोई ऐंसा शख्स फेसबुक पर कम्युनिज्म की आलोचना करने लगता है,जिसने कम्युनिज्म का ककहरा भी नही पढ़ा!जो कभी किसी मजदूर संघर्ष में शामिल नही हुआ !जिसने दास कैपिटल' तो दूर 'कम्युनिस्ट मेनीफेस्टो' के भी दीदार नहीं किये !इसी तरह बहुत भौंडा लगता है जब कोई स्वयंभू प्रगतिशील या तोतारटंत समाजवादी - साम्यवादी बिना किसी अध्यात्म दर्शन के अध्यन अथवा पुरातन वांग्मय का अध्यन किये बिना उन पर लठ्ठ लेकर टूट पड़ताहै!

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