- पी एम मोदीजी चार साल में चार बार चीन हो आये! उनकी इन यात्राओं से किसी एक भी भारतीय युवा को रोजगार नही मिला! वेशक दो तीन भारतीय पूँजीपतियों के चीन से संबंधित व्यापारिक रिस्ते मजबूत हुये हैं! आज चीन की तारीफ दुनिया करती है और भारतको अभी भी मध्ययुग का बर्बर पिछड़ा देश ही समझती है! विदित हो कि भारत को चींन से पहले आजादी मिल गई थी !क्यों भारत हर चीज में चींन से पिछडता चला गया ?क्योंकि चींन ने मार्क्सवादी दर्शन से जो सीखा वह हम भारतीय लोग गांधी दर्शन में,गोडसे दर्शन में खोजते रहे... !भारतीय नेता साहित्यकार,बुद्धिजीवी और चिंतक केवल अंतरराष्ट्रीयतावाद या अंधराष्ट्रवाद ही परोस्ते रहे !जबकी चीन की विशाल साम्यवादी पार्टी वैज्ञानिक भौतिकवाद के साथ साथ राष्ट्रवाद भी परोसती रही ! भारत के लोगों ने चीन से कुछ नही सीखा !इसीलिये कुछ लोग कश्मीर मसले पर या सींमाओं पर हो रही हिंसाके बरक्स,हिंसक पाकिस्तानी आतंकियों की निन्दा करने से भी डरते हैं! कुछ लोग तो पाकिस्तानी दलालों बदमाश जनरलो की आलोचना करने के बजाय अपनी ही सेना और अपने ही जनरलों को भी कोसते रहते हैं !ऐंसा व्यक्ति कदापी देशभक्त या वामपंथी नही हो सकता ! वह बुद्धिजीवी भी नही हो सकता,वह उत्क्रिष्ट अंतरराष्ट्रीयतावादी भी नही हो सकता !वह किसी भी नजर से इंटेलेक्चुअल नही हो सकता,जो चींन की कम्युनिस्ट पार्टी से कोई सार्थक सबक नही सीखता !
शुक्रवार, 8 जून 2018
भारत के लोगों ने चीन से कुछ नही सीखा
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