शुक्रवार, 15 जून 2018

  1. नास्तिकों की भावनाएं भी आहत होती है।
  2. (1) आस्तिक लोग बात बात में कहते रहते हैं कि हमारी भावना आहत हुई। कोई फिल्म बनी तो भावना आहत हुई। किसीने किताब लिखी तो भावना आहत हुई। किसी का नाम पार्वती खान है तो भावना आहत हुई। ऐसी कैसी है आपकी भावना जो बात बात में आहत होती रहती है !!!
    (2) भावनाएं तो नास्तिक की भी होती हैं भावनाएं उनकी भी आहत होती हैं! जब किसी मंदिर में किसी नारी को देवदासी बनाकर उसका आजीवन शोषण किया जाता है,तब भावनाएं नास्तिक की भी आहत होती है।
    (3) आस्था के नाम पर दूध ...और घी जैसे कीमती द्रव्यों का अपव्यय होता है और मंदिर के बाहर भूखे बच्चें भीख मांग रहे होते हैं और भगवान को 56 भोग लगाएं जाते हैं तब भावनाएं किसी नास्तिक की भी आहत होती हैं!
    (4) संविधान में बताये गये सिद्धांतों के विरुद्ध आप अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं और सांसद की उम्मीदवारी का फॉर्म भरते वक्त घड़ी में 12.39 का समय का मुहूर्त देखते हैं तब भावनाएं विज्ञानवादियों कीभी आहत होती हैं!
    (5) रथयात्रा हो या ताजिया जुलूस हो, आप रोड पर चक्काजाम कर देते हैं, तब किसकी भावनाएं आहत नही होती ? माईक पर धार्मिक ध्वनि प्रदूषण से लोग परेशान हैं लेकिन आपको किसी की फिक्र नहीं , भावनाएं औरों की भी हैं और आहत भी होती हैं।
    (6) जब आप कलेक्टर, डॉक्टर या इन्जीनीयर बनकर अनपढ़ पंडित से पूछते हैं कि शादी का सही समय (मुहूर्त) क्या है ?तब भावनाएं ज्ञानियों की भी आहत होती हैं।
    (7) शहर में हजारों लोग फुटपाथ पर सोते हैं और आप नये मंदिर के लिए जमीन का दुरूपयोग करते हैं। स्कूल और अस्पताल बनाने के लिए जमीन और पैसा नहीं है, लेकिन मंदिर पर मंदिर आप बनाते जाते हैं, तब भावनाएं गरीबों मजूरों की आहत होती हैं।
    (8) अच्छी पुस्तक,अच्छे विचार पढने के लिए आपके पास समय नहीं है,लेकिन अनपढ़ नेताओं के भाषण सुनने के लिए आपके पास समय है। माइक, टीवी,रेडियो, मोबाइल, कम्प्यूटर, इन्टरनेट का इस्तेमाल आप अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए करते हैं, तब भावनाएँ भगवान की भी आहत होती हैं। आस्तिकों की तरह नास्तिकों की भी भावनाएं होती है। आहत भी होती हैं। इसीलिये बिना पक्षपात सभी की भावनाओं की कद्र कीजिये!

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