शुक्रवार, 15 जून 2018

  • मोदी सरकार के पास अपने सैकड़ों वादे और हजारों जुमले पूरे करने के लिये अब सिर्फ एक साल बचा है! चूँकि उन्हेंअपने क्रतित्व पर भरोसा नही, इसलिये सरकारी खजाने का अरबों रुपये खर्च कर अनकिये को किया हुआ बताया जा रहा है! किसीभी जन निर्वाचित लोकप्रिय सरकार के लिए यदि संवैधानिक रूप से पांच साल का कार्यकाल उपलब्ध है,तो उसे अपना 'राज धर्म' भूलकर,अनावश्यक वितण्डावाद में नहीं पड़ना चाहिए ! उसे अपनी नीति -रीति और उपलब्धियों का रोज-रोज बखान करने की क्या जरूरत है ? किसी भी बेहतरीनऔर लोकप्रि...य सरकार के लिए,उसके द्वारा पांच साल काम कर चुकने के बाद, अपना कार्य दिखाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी! जनता के बीच अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने में अपना कीमती वक्त और जनता का अरबों रुपया बर्बाद करना देशभक्ति नही बल्कि देश द्रोह है! ये भारत की 'पब्लिक है सब जानती है'!अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा तो वे ही पीटते हैं ,जिन्हे खुद पर भरोसा नहीं !और अपने साथियों के सत्ता संचालन पर शक -सुबहा हो । जन असंतोष की आशंका उन्ही को हुआ करती है ,जिन्हे अपने राजनैतिक द 'रणकौशल ' पर भरोसा नहीं। प्रचार की जरुरत उन्ही को है जो सत्ता मिल जाने के बाद केवल जुमलों के ढपोरशंख ही बजाते रहे हैं। जो जनता को झूंठे चुनावी - वादों भाषणों,जुमलों तथा शिलान्यासों में भरमाते रहे हैं । जब कोई राजनेता या पार्टी आम जनता को बार-बार अपनी उपलब्धियां गिनाए, प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया पर धुआँधार प्रचार करे कि -जो कुछ किया हमने किया ,जो नहीं हो सका उसके लिए विपक्ष जिम्मेदार है। और सारे गुनाहों के लिए पूर्ववर्ती सरकारें जिम्मेदार हैं। हमें तो अभी 5 साल ही हुए हैं ,अतः हे मूढ़मति मतदाताओं ! हमें सत्ता से मत उखाड़ फेंकना। क्योंकि 'हमसे बढ़कर दूसरा कोई नहीं '! इस तरह की सोच वाले अहंकारी -पाखंडी नेता और पूँजीवादी दल अपराध बोध से पीड़ित हुआ करते हैं !इस तरह की आत्मभक्ति जैसी हरकतों पर 'चोर की दाड़ी में तिनका' वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। सत्तापक्ष का यह आचरण निंदनीय है!

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