रविवार, 10 जून 2018

  • सच्चाई तो अब शायद सच में बेअसर हो गई!
    इसीलिये शैतानियत कुछ ज्यादा ही ज़बर हो गई।।
    बानगी पेश की जमाने ने अपनी कुछ इस तरह ,
    कि जो पोशीदा भी न थी बात उसकी खबर हो गई।
    किस्ती के डूबने का अनुमान तो था सभी को मगर ,...
    माझी की गफलत से तूफ़ान को पहले खबर हो गई।
    दिखाई दिये दूर से ही साहिल वे हमराह हम सफर ,
    मझधार में उनकी मगर इक जान लेवा लहर हो गई।
    बिजली गिरी कमबख्त उसी मासूम से दरख्त पर ,
    था परिंदों का वसेरा जहाँ पहले एक कहर हो गई।
    सच्चाई तो अब शायद सच में बेअसर हो गई।।
    श्रीराम तिवारी

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