गुरुवार, 28 जून 2018

मेरी नजर में आपातकाल !

  • आपातकाल की घोषणा के एक माह पहले ही मैं सीधी से ट्रांसफर होकर गाडरवारा आया था! गाडरवारा आने के तीन महीने बाद ही मुझे चार्ज सीट दी गई कि आप 24 घंटे में चार्जसीट का जबाब दें!अन्यथा क्यों न आपको पी & टी विभागकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया जाये? आरोप था कि आप नाइट ड्युटी के दौरान टेलीफोन एक्सचेंज में ताला डालकर घर चले गए! चूँकि उस दिन तत्कालीन संचारमंत्री स्व.शंकरदयाल शर्मा किसी काम से,दिल्ली से जबलपुर जा रहे थे! और गाडरवारा रास्ते में पड़ता है!उनसे सौजन्य भेंट के लिये इंतजार कर र...हे रामेश्वर नीखरा और नीतिराजसिंह इत्यादि नेताओं तथा अफसरों को पता चला कि मंत्रीजी की गाड़ी गाडरवारा नही रुकी! तब उन्होंने तुरंत एक्सचेंज से संपर्क किया, किंतु वहां से कोई जबाब नहीं मिला!क्योंकि मैं नया नया ही था और नियमों से अनभिज्ञ भी,इसलिये रात्रि वहीं एक्सचेंज के विश्रामगृह में सो गया! यद्दपि आपातकाल की उस छोटी सी भूल की मुझे कोई सजा नही दी गई ! सिर्फ एक लाइन की चेतावनी दी गई!'आइंदा सावधान रहें' उस एक लाइन से सबक सीखकर मैने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से 40 साल ड्युटी की! फिर किसी नेता मंत्री-अफसर से कभी डरा नही!इस सावधानी और अपनी शानदार क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन में लोकल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संघर्ष की बदौलत आगे बढ़ता गया! पूरे 5 प्रमोशन भी प्राप्त किये ! हो सकता है कि किसी को आपातकाल में कुछ नुकसान हुआ हो! किंतु मेरी नजर में तो आपातकाल कुछ तु्र्टियों के बावजूद वास्तव में अनुशासनविहीन भारतके लिये एक जरुरी अनुशासन पर्व ही था!इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को भारतमें आपातकाल लगाया,बुरा किया! तत्कालीन विपक्ष ने 1977 में जनता पार्टी बनाई और जीते भी !किंतु संघ और जनता पार्टी की दोहरी सदस्यता के सवाल पर सभी घटक आपस में लड़ मरे,बहुत बुरा किया!! 1980 में देश की जनता ने इंदिरा गांधी को पुनः जिता दिया! याने उस जनादेश के मार्फत जनता ने इंदिरा जी का आपातकाल वाला अपराध क्षमा कर दिया! यही वजह रही कि आपातकाल के बाद भी केंद्र में कांग्रेस नीत गठबंधन की सरकारें लगातार सत्ता में बनी रही!अब जो लोग आपातकाल के बहाने कांग्रेस को कोस रहे हैं वे दोगले हैं!

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