सोमवार, 25 जून 2018

दर्शन और उसकी पक्षधरता,,,कार्ल मार्क्स !


  • मार्क्सवाद दर्शन की समस्याओं और उसके विविध रूपों को समझने की वैज्ञानिक दृष्टि देता है।
  • अक्सर धर्म दर्शन के विमर्श में दार्शनिक के सामने प्रश्न यह आता है कि ,,जड़ से चेतन पैदा हुआ या चेतन से जड़।
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  • एक तरफ वे हैं जो ,यह मानते हैं कि चेतन से जड़ पैदा हुआ। उनका मानना है कि कोई न कोई ऐसी शक्ति इस ब्रह्माण्ड में अवश्य है जिसने इस संसार की रचना की।वह परम शक्ति परम बुद्धिमान नैतिक और दोष रहित है।वह परम आत्मा है।उसका कोई रंग रूप नहीं है। चर अचर प्राणीमात्र उसका ही स्रजन है!
  • इस मत की पुष्टि करने वाला दर्शन आध्यात्मवादी या आदर्शवादी या विचार वादी या प्रत्ययवादी के नाम से जाना जाता है।
  • दूसरे वह लोग है,जो यह मानते हैं कि जड़ से ही चेतन की उत्पत्ति हुई है। क्षिति, जल,पावक,गगन समीर ,इन पांच तत्वों से जीव की रचनाहोती है। इस मत की पुष्टि करने वाला दर्शन भौतिकवादी कहा जाता है।अब तो बात इन पांच तत्वों से भी आगे जा चुकी है।इनको तत्व न मान कर सौ से अधिक मूल तत्वों की खोज हो गई है, जैसे ओक्सीजन ,हाइड्रोजन,लोहा आदि आदि।
  • आध्यात्मवादी दार्शनिकों के लिए सुविधा की बात यह रही कि वह परमात्मा को रंग रूप रहित मान कर किसी भी तरह के स्पष्ट प्रमाण से मुक्ति पा जाते रहे हैं।
  • भौतिकवादी दार्शनिकों के लिए असुविधा की बात यह रही कि जड़ से जीव के पैदा हो जाने की बात के कारण स्पष्ट प्रायोगिक प्रमाण की जरूरत को पूरा करने में वह अक्षम थे,इसलिए कि प्रारंभिक अवस्था का विज्ञान उसे सिद्ध करने में सक्षम नहीं था।
  • इसके कारण सदियों तक दुनिया भर में आध्यात्मवादी दर्शन भौतिकवादी दर्शन पर भारी पड़ता रहा।किंतु समय के साथ बदलाव आया और भौतिकवाद आध्यात्मवाद पर भारी पद गया।
  • अठारहवी उन्नीसवी सदी में विज्ञान अपनी युवावस्था में पहुंच गया।प्रयोगों के उपकरणों का विकास हो जाने से अनेक बातों को प्रमाणित किया जाने लगा।
  • आम रूप से यह स्वीकार किया जाने लगा कि मनुष्य के शरीर में दिमाग है।यह भी जड़ है।दिमाग से विचार पैदा होता है ,न कि विचार से दिमाग।
  • इसके बाद भी कई सवालों का जवाब भौतिकवाद को देना था और उसने उसे दिया।

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