आगामी राष्ट्रपति पद के चुनाव हेतु भाजपा और संघ परिवार काम पर लग गया है! किंतु तमाम विपक्ष दलों में कोई हलचल नही है ! विपक्ष को चाहिए कि अति शीघ्र इस बाबत बैठक बुलाएं और आगामी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी हेतु सर्वश्री राजनाथसिंह, गुलाम नबी आजाद, स्वामी रामदेव, मायावती या रामदास अठावले के नामों पर विचार करे। विपक्ष यदि इनमें से किसी एक नाम पर भी दाव लगाता है,तो सत्ता पक्ष याने भाजपा वाले भी इन नामों को नजर अन्दाज़ नही कर सकेंगे!तब सत्तापक्ष की सारी दादागिरी धरी रह जाएगी! वर्तमान में संयुक्त विपक्ष की ताकत राज्यसभा में और विधानसभाओं में अभी भी पर्याप्त है ! किंतु वे एकजुट होकर लीक से हटकर सोचें तब ना !
भाजपा के जो कार्यकर्ता और नेता पहले लालकृष्ण आड्वानी या मुरलीमनोहर जोशी को राष्ट्रपति पद पर देखना चाहते थे, वे अब राजनाथसिंह या स्वामी रामदेव का नाम सामने संयुक्त विपक्ष द्वारा प्रस्तावित किये जाने पर स्वविवेक का प्रयोग कर सकते हैं!
इससे संयुक्त विपक्ष को और इस मुल्क की डेमोक्रेसी को बड़ा लाभ होगा! यदि विपक्ष ने आगामी २०२४ के लोक सभा चुनाव में यह निर्णय लिया तो भारत का बहुसंख्यक हिन्दू समाज भाजपाईयों को एकतरफा वोट करने के बजाय विपक्ष का भी समर्थन कर सकता है। यह तभी संभव है जब विपक्षी एकता की दो बड़ी बाधाएं याने- ममता और केजरीवाल कांग्रेस से परहेज़ की शर्त न रखें!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें