असफल लोगों, असफल समाजों और असफल राष्ट्रों में जो संकल्प शक्ति और चेतना का अभाव हुआ करता है वह 'अभाव' ही उनकी तमाम असफलताओं का प्रमुख घटक माना जाना चाहिए। मंजिल पर पहुंचने का हकदार वही है, जिसका संकल्प सही है !सवाल उठ सकता है कि सही रास्ता कौन सा है ?
एक रास्ता बर्बर हिंसक लुटेरे क़बीलाईयों बाह्य आक्रमणकारियों का है,मंदिर तोड़ने वाले धूर्तों का है ! दूसरा रास्ता बहुसंख्यक हिंदू समाज का है,जो अहिंसा दया, करुणा मैत्री और सर्वधर्म समभाव का है!
इस दौर के विवेकवान,तर्कशील भारतीय नर नारियों को इसकी पड़ताल के लिए शिद्दत से प्रयत्न करना चाहिए! सारी दुनिया जिनसे परेशान हैं, एक मजहब विशेष के रक्तरंजित इतिहास का समग्र अनुभव मनुष्य जाति के सामने पसरा पड़ा है। *अहिंसा परमोधर्म* में यकीन रखने वाले भारतीय अब निरीह नही हैं ! भारत के शांति प्रिय समाज को अपनी अस्मिता की हिफाजत करने का पूरा हक है!
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