हर स्याह रात के बाद फिर नई सुबह आती तो है।
आँगन में कोई एक पेड़ हो तो गौरैया गाती तो है।।
तितलियाँ फुदकती हैं पतझड़ गुजर जाने के बाद,
चहकती चिड़ियां सुमधुर राग भोर का सुनाती तो है।
कूँकती है कोयल कभी झूमते अमुआ की डाल पर,
नित चिर बिरही के कलेजे पर खंजर चलाती तो है।।
गौरैया,तितली,चिड़िया,कोयल की कूँक रोज सुबह,
निराषा के पलों में भी ज़िजीविषा जगाती तो है !
हर स्याह रात के बाद फिर नई सुबह आती तो है!
आंगन में कोई एक पेड़ हो तो गौरैया गाती तो है।।
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