शुक्रवार, 9 मई 2014

मीठा-मीठा गप ,कड़वा-कड़वा थू क्या यही 'नमो' का सिद्धांत और यही विचाधारा है ?



      वर्तमान आम  चुनाव के दौरान  हुये निराशाजनक  राजनैतिक  कुकरहाव के लिए सिर्फ राजनैतिक नेता  , राजनैतिक पार्टियाँ  और बाजारू मीडिया  ही  जिम्मेदार नहीं है।  इनके अलावा  बाबाओं   , गुरु  - घंटालों  , मुल्लाओं -मौलवीयों ,स्वामियों,सन्यासियों तथा  शंकराचार्यों से लेकर विवादास्पद -सेवानिवृत्त - स्वार्थी नौकरशाहों ने भी इस 'चुनावी -गटरगंगा' में स्नान किया है। विश्व के  इस  तथाकथित लोकतंत्र के इस महायज्ञ की चुनावी  आहुति  में  जो योगदान संघ परिवार और नरेंद्र मोदी का रहा है वो बेमिशाल है।
       भृष्टाचार ,पक्षपात,वंशवाद,जातीयतावाद,सम्प्रदायवाद ,क्षेत्रवाद ,भाषावाद ,पूंजीवाद ,पिछड़ापन ,गरीबी,
बेकारी ,अशिक्षा ,बाजारीकरण ,निजीकरण ,ठेकाकरण ,लूट,ह्त्या ,बलात्कार तथा  सम्पूर्ण  व्यवस्था में पतन के गंभीर सिम्टम्स मौजूद होने के बावजूद मेरे जैसे 'आशावादियो' को न केवल बड़ा अभिमान हो चला था बल्कि यह  गुमान भी  हो चला था कि  दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र  भारत में  'स्वतंत्र ,निष्पक्ष,निर्भीक ' मतदान कराये जाने के लिए भारतीय चुनाव आयोग तो कम से कम कटिबद्ध है ही ! अधिकांस  भारतीयों को टी एन शेषन  युग से लेकर वी एस संपत तक की निष्ठा -योग्यता  पर जरा ज्यादा ही  भरोसा  हो चला था।  भारतीय लोकतंत्र की तमाम खामियों के वाबजूद कम से कम  भारतीय चुनाव आयोग  की  उज्ज्वल -धवल छवि  दिनों-दिन निखार पर  दिखने लगी थी !कुछ-कुछ   भारतीय उच्चतम  न्यायलय   जैसी हो चली थी। भारतीय सर्वोच्च न्यायलय ने और  भारतीय चुनाव आयोग ने अपनी  विश्वश्नीयता , न्यायप्रियता और  उत्कृष्टता  के   झंडे न केवल भारत में बल्कि  सारे संसार में  गाड़ दिये थे। अचानक नरेंद्र मोदी जी ने हम सभी  मूर्ख भारतीयों को बताया कि भारतीय चुनाव आयोग वैसा नहीं है जैसा कि हम समझ रहे थे बल्कि वो तो बड़ा  बईमान,पक्षपाती तथा गैरजिम्मेदार है।याने मोदी जी सत्ता में आएंगे तो चुनाव आयोग को ठीक {?} कर देंगे !
                             चूँकि  इस दौर में तो 'संघ परिवार'और भारतीय जनता पार्टी की नजर में  मोदी से ज्यादा योग्य ,ईमानदार, देशभक्त  तथा कद्दावर कोइ ओर नेता नहीं है.होगा तो भी उसे खंडित और  दण्डित किया जा सकता है।  इसलिए  कोई कारण नहीं की ये लोग 'नमो'  द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए  इन आरोपों पर यकीन  नहीं   करेंगे ! चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाले  'नमो' के इस  बयान  से दुनिया में भारतीय लोकतंत्र का जो  आघात पहुंचा है वो तो अपनी जगह घोर त्राषद है ही किन्तु  इसके अलावा  एक अप्रिय प्रश्न  ओर भी उठता है कि संघ परिवार और भाजपा   ने   इसी  तथाकथित नाकाबिल  ,पक्षपाती  और गैरजिम्मेदार चुनाव आयोग  की बदौलत  ही विगत ६-७ माह पहले चार राज्यों में  जो सरकारें  बनाईं  हैं , क्या   भाजपा की ये उपलब्धियां  भी इसी पक्षपाती ओर नाकाबिल चुनाव आयोग की  या षड्यंत्रपूर्ण चुनाव प्रणाली का  ही परिणाम हैं ?
                       सभी दूर  चर्चा है कि  'अबकी बार -मोदी सरकार ' सर्वे - मर्बे  को मारो गोली। डंके की चोट  उसके विरोधी भी कह रहे हैं कि  १६ मई को  आने वाले रिजल्ट में यूपीए का तो  सूपड़ा साफ़ होने जा रहा है ,कांग्रेसी तो क्या बेचारे प्रधानमंत्री डॉ मनमोहनसिंह भी ७-रेस कोर्स रोड त्यागने की जल्दी में हैं।  हो सकता है की एनडीए की सरकार बने न बने किन्तु भाजपा को तो  २०० से ज्यादा  सांसदों की सीटें  जीतने का  अवश्य ही  अनुमान है । इन विरोधाभाषी हालातों मे  मोदी जी से  देश की जनता को पूंछना चाहिये कि क्या यह संभावित ऐतिहासिक उपलब्धि  इसी  तथाकथित -पक्षपाती ,पूर्वाग्रही ओर निकम्मे  चुनाव आयोग की  बदौलत मानी जाएंगी ? यह कौन नहीं जानता  क़ि न केवल गुजरात ,मध्यप्रदेश में तीन -चौथाई से ज्यादा सांसद भाजपा  के ही जीतकर आने वाले हैं। बल्कि दक्षिण भारत में भी  इस बार उसका खाता खुलने वाला है।  क्या  भाजपा को मिलने वाले ये सुखद परिणाम भारतीय चुनाव आयोग का षडयंत्र मानकर नकार दिये जायेंगे ?क्या मध्यप्रदेश की २९ में से २९ सीटों पर जीत  का दावा करने वाले शिवराजसिंह चौहान  भी 'नमो' से सहमत  होंगे ? यदि मध्यप्रदेश में चुनाव आयोग कांग्रेस के साथ मिला  हुआ होता तो  क्या कांग्रेस का इतना बुरा हाल होता ? कहीं ऐंसा तो नहीं कि  मोदीजी  ही सही  फ़रमा  रहे हो और गुजरात का अपना निजी अनुभव बाँट रहे हों ?कहीं ऐंसा तो नहीं कि मध्यप्रदेश में भी शिवराज को  चुनाव आयोग की  इसी तथाकथित  पक्षपाती नीति से ही न केवल  विधान सभा चुनाव में  बल्कि अब लोक सभा चुनाव में भी विराट सफलता मिलने जा रही हो ? भाजपा के हिसाब से  चुनाव आयोग मध्यप्रेदश ,गुजरात और  राजस्थान में तो निष्पक्ष ओर स्वतन्त्र  है  किन्तु बनारस ,बंगाल या वहाँ  जहाँ भाजपा को जीत की सम्भावना नहीं वहां पक्षपाती ओर अयोग्य है।  हमारा  सवाल है मोदी जी से की चुनाव आयोग जब भाजपा  शाषित राज्योँ मे निष्पक्ष चुनाव  करा सकता है तो सम्पूर्ण भारत में क्यों नहीं ? भाजपा के वे नेता जो जानते हैं कि  मोदी के आरोप  ना केवल सतही  बल्कि निराधार,मनघड़ंत और असत्य हैं   उन्हें 'नमो' की इस  गलत बयानी   पर  शर्म नहीं है। यदि उनमें लोकतंत्र के  प्रति जरा भी आस्था है तो वे इस तरह के राष्ट्रविरोधी वयानों  का मुखर विरोध क्यों नहीं करते ?राजनाथसिंह ,जेटली ,सुषमा ,शिवराजसिंह ,वसुंधरा राजे , रमनसिंह ,प्रकाशसिह  बादल  या मोहन भागवत  क्यों नहीं कहते कि मोदी  भाई बस करो -चुनाव आयोग  पर तोहमत लगाने से पहले  वहाँ भी तो नजर दौड़ाओ  जिधर से हम बम्फर  जीत हासिल  करने जा रहे हैं!  क्या यह भी चुनाव आयोग की अयोग्यता ओर पक्षपात का परिणाम है ?मीठा-मीठा गप ,कड़वा-कड़वा  थू क्या यही 'नमो' का सिद्धांत और  यही विचाधारा है ?
                   
       श्रीराम तिवारी
  
  

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