अंततोगत्वा श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक राष्ट्र -भारत का 'प्रधानमंत्री' बन कर असंभव को सम्भव करके दिखा ही दिया । उन्होंने यह लक्ष्य न केवल भाजपा ,न केवल एनडीए,न केवल एक गैरकांग्रेस वादी - दक्षिणपंथी पार्टी को बहुमत दिलाकर हासिल किया है,बल्कि एक 'चाय वाले ' ने , 'संघ' के एक साधारणस्वयं सेवक ने , भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने आप को प्रतिष्ठित करवा कर कर अपनी अजेय शैली का डंका बजाया है। उन्होंने दुनिया भर के आलोचकों और विरोधियों से अपनी नेतत्व क्षमता का 'लोहा मनवा ही लिया' है। भारत के प्रधानमंत्री पद पर प्रतिष्ठित होने का माद्दा और नेतत्व का हौसला दिखा कर मोदी जी ने उम्मीदों के अनेक चिराग भी रोशन किये हैं।वेशक उनके इस अभियान में ,चुनावी अश्वमेध यज्ञ में समस्त 'संघ परिवार'का अविरल सहयोग मिलता रहा है। उन्हें भारतीय भूतपूर्व सामंतों और उद्द्योगपतियों का संस्थागत सहयोग भी प्राप्त हुआ है। कार्पोरेट नियंत्रित मीडिया घरानों का और खुद श्री मोदी के मीडिया मैनेजमेंट का भी इस दौर में शानदार तालमेल रहा है। राष्ट्रव्यापी मेराथॉन -विराट आम सभाओं और 'चाय चौपाल'जैसी युक्तियों से उन्होंने देश की अधिसंख्य जनता से जो सीधा संवाद बनाया,जिसकी बदौलत २८२ कमल खिले और उन्होंने अपने-अंदर बाहर के विरोधियों को जिस 'चाणक्यनीति ' से शांत किया है वह वेशक श्री नरेंद्र भाई मोदी के वैयक्तिक खाते में ही जमा किये जाने योग्य है। इसीलिये अभी तो वक्त मोदी जी का ही है। इस दौर में वे भारत के सर्वाधिक शक्तिशाली नेता है। अतएव इस मौजूदा दौर को मोदी युग का प्रारम्भ' भी कह सकते हैं।
आशा है कि अटल युग की भूलों को दुहराया नहीं जाएगा।
हालांकि इससे पूर्व इसी 'संघ परिवार' के एक खास चेहरे के रूप में श्री अटल बिहारी बाजपेई भी भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं । किन्तु उनकी एनडीए -प्रथम सरकार ने अर्थात २२ दलों की खिचड़ी सरकार ने १९९९ से २००४ तक के कार्यकाल को केवल कांग्रेस के अपराध गिनाने और सरकारी सम्पत्ति को निजी हाथों में बेचने में ही जाया किया था । अरुण शौरी ,यशवंत सिन्हा और स्वर्गीय प्रमोद महाजन की तिकड़ी ने ऐंसा गुल खिुलाया था कि सर्वत्र 'फील गुड' होने लगा था। उसी गफलत का परिणाम था कि २००४ के आम चुनाव में एनडीए की शर्मनाक हार हुई। अटल युग का 'शायनिंग इंडिया' अभी भी भारत को मुँह चिढ़ा रहा है। उसी के कुप्रभाव का परिणाम था कि न केवल २००४ में यूपीए -प्रथम बल्कि २००९ में यूपीए -द्वतीय की हांडी बार-बार सत्ता के चूल्हे पर चढ़ती रही। 'अबकी बार - मोदी सरकार 'के नारे ने २०१४ के आम चुनाव में ,५४५ की संसद में, एनडीए का आंकड़ा 'बहुत बड़ा' [३३२] कर दिया है। मोदी जी की बदौलत भाजपा को २७२ का नहीं बल्कि २८२ का अपना स्पष्ट बहुमत गौरवान्वित करता प्रतीत हो रहा है। इसलिए इस बार यही आशा है कि अटल युग की भूलों को दुहराया नहीं जाएगा। 'अबकी बार-मोदी सरकार ' सार्थकता तभी रेखांकित की जाएगी जब वे अपने [संघ के]एजेंडे को लागू करके दिखाएंगे। जब वे जम्मू-कश्मीर से धारा ३७०हटा देंगे , अयोध्या में 'राम -लला ' का भव्य मंदिर बना देंगे ,आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करवा देंगे ,मेंहगाई खत्म कर देंगे ,४० लाख करोड़ का कला धन [बकौल स्वामी रामदेव] वापिस भारत ला देंगे , भृष्टाचार -रिश्वतखोरी खत्म कर देंगे ,बेरोजगारों को नौकरी दिल देंगे ,किसानों को उचित संरक्षण तथा मुनाफाखोरों -मिलावटियों को फांसी दे देंगे।पूरे भारत को गुजरात ब्राइबेंट से भी आगे -सिंगापुर,चीन ,जापान या हालेंड बनादेंगे। वेशक मोदी सरकार जरूर ऐसा कुछ बेहतर करके दिखाएगी कि न केवल भारत की जनता,बल्कि दुनिया भी देखती रह जाएगी। क्योंकि उन्हें ऐतिहासिक प्रचंड बहुमत अर्थात स्पष्ट जनादेश मिला है। तब मोदी सरकार के बेहतरीन परफार्मेंस को देखकर विश्व जनमत भी 'कहेगा की मोदी सरकार - भारत की ही नहीं दुनिया की श्रेष्ठतम सरकार !
दरसल निषेध की शक्तियों ने ज़रा ज्यादा ही भूमिका निभाई है , इन चुनावों में भाजपा को जिताने में।
वेशक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता,लेकिन श्री मोदीजी अपवाद हैं। वे कर सकते हैं। जिसे पानी से आधा भरा ग्लास भी शेष हवा से भरा नजर आता है वह परम आशावादी और सृजनशील है,वह प्रचंड उद्द्य्मशील है।ऐसे श्री नरेंद्र भाई मोदी को जिन्होंने भी आगे बढ़ाया हो - फिर वे चाहे जो हों ! संघ परिवार के मोहनराव भागवत हों ! एम वैद्द्य हों !संघ के अन्य सभी बौद्धिक हों !अरुण जेटली हों ,राजनाथ हों, राम लला हों !काशी विश्वनाथ हों ,गंगा मैया हों , या 'हीरा बा'जैसी माता हों ! स्वामी रामदेव हों ,सुब्रमण्यम स्वामी हों ,साधु-संत हों !आधुनिक विकाशवादी हाई टेक युवा हों !अल्पसंख्यकवाद और आरक्षणवाद से पीड़ित बहुसंख्यक हिन्दू हों !अल्पसंख्यक वोट बैंक के ठेकेदार -आजमख़ाँ ,ममता,मुलायम और मायावती हों या कांग्रेस हो ! इन चुनावों से पूर्व गुजरात -मुंबई या विदेशों में बैठे 'नमो ' समर्थक भारतीय पूँजीपति हों ! सभी ने इस बार के आम चुनाव में एक शानदार काम किया है कि भारत को एक स्थिर सरकार देकर उपकृत किया है। भारत की आने वाली पीढ़ियां अवश्य ही इन सभी का शुक्रिया करेंगी !विधि-निषेध -दोनों का ही 'मोदी सरकार'के निर्माण में प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग रहा है। दरसल निषेध की शक्तियों ने ज़रा ज्यादा ही भूमिका निभाई है , इन चुनावों में भाजपा को जिताने में।
कमजोर और निर्बल इस गलाकाट प्रतिद्वंदिता में ज़िंदा रहने के लिए के लिए प्रयास करेंगे।
अपनी शपथ ग्रहण के मौके पर पाकिस्तान सहित दक्षेश नेताओं को आमंत्रित कर मोदी जी ने न केवल भारत की जनता में बल्कि पड़ोसियों के मन में भी एक- दूसरे के प्रति सौजन्यता ,अमन और विश्वाश के पैगाम का संचार किया है। राष्ट्रीय स्तर पर घोर रूढ़िवादी और कटटर पूँजीवादी होने के बरक्स आर्थिक और वैदेशिक नीति के अमलीकरण में श्री मोदी जी सशक्त भारत के शांति-मैत्री वाले 'अटल सिद्धांत' पर चलते हुए प्रतीत हो रहे हैं। वे अपने गुजरात के अनुप्रयोगों में जापान ,कोरिया सहित दक्षिण पूर्व एशिया के 'एशियन टाइगर्स ' के समृद्धशाली वैभव के अनुभवों को भी शामिल करने के पक्षधर हैं। प्रत्याशा की जा सकती है कि वे जनता के कल्याणकारी मदों में कटौती करेंगे तथा 'देश के नवरत्नों' को निजी धन्ना सेठों के हाथों में सौंप देंगे। कट्टर पूँजीवादी -मिनिमम गवनमेंट -मैक्सिमम गवर्नेस का सिद्धांत केवल पूंजीपतियों और ठेकेदारों के हितों की स्वार्थपूर्ति के काम आता है। आवाम का बड़ा तबका ,निर्धन ,बेरोजगार और अनिकेत जन को इस बाजारीकरण -उदारीकरण या भूमंडलीकरण से कुछ भी हासिल नहीं होना है। इस सिद्धांत से जो विकसित तथा समृद्ध हैं वे और ज्यादा तरक्की करेंगे। कमजोर और निर्बल इस गलाकाट प्रतिद्वंदिता में ज़िंदा रहने के लिए के लिए प्रयास करेंगे।
'नमो' को ललकारने वाले की ताकत खत्म हो जाती है तथा वे और ज्यादा 'सुर्खरू' होकर परवान चढ़ते जाते हैं।
बीते दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालने पर हम स्पष्ट देख सकते हैं कि श्री नरेंद्र मोदी जी ने जितने भी तीर अभी तक चलाये हैं उनमें से शायद ही कोई अपने लक्ष्य से भटका हो ! भाजपा में न केवल अपने समकक्ष बल्कि वरिष्ठ प्रतिद्व्न्दियो का भी उन्होंने जिस सफलता और सलीके से सामना किया वो किसी भी राजनैतिक दल के लोकतांत्रिक इतिहास में नहीं मिल सकता। उन्होंने एनडीए के रूठे साथियों को बड़ी कुशलता से अपने पाले में ला खड़ा किया। जबकि चुनाव पूर्व भाजपा के ही कुछ बड़े नेता आस लगाए बैठे थे कि शायद भाजपा को समुचित बहुमत न मिल पाये और त्रिशंकु संसद की सूरत में एनडीए के साथी श्री मोदी को नापसंद कर किसी अन्य 'सेकुलर' किस्म के भाजपा नेता को समर्थन देने पर अड़ जाएं. किन्तु अफ़लातूनों के अरमान धरे रह गए और श्री मोदी 'मलंग' हो गए !क्योंकि मोदी जी के अभी तो सभी ग्रह अनुकूल हैं ! वे सुग्रीव के बड़े भाई -सूर्यपुत्र बाली की तरह हैं, जो कोई भी उनके सामने शत्रु भाव से आता है या उनके रास्ते में आड़े आता है वह फना हो जाता है। 'नमो' को ललकारने वाले की ताकत खत्म हो जाती है तथा वे और ज्यादा 'सुर्खरू' होकर परवान चढ़ते जाते हैं।
'नमो' एक 'धर्मयोद्धा' याने क्रूसेडर से राजनीति में परवान चढ़े हैं ,
यह सुखद आभास है कि सत्ता प्राप्ति के उपरान्त 'नमो' सिर्फ वही नहीं कर रहे हैं जो 'संघ' को पसंद है। बल्कि वे वह भी करने पर आमादा हैं जो देश की आवाम को पसंद है। वे अपने चुनावी वादे भूलने वाले नेताओं में से नहीं लगते। उनका हिन्दी प्रेम भी उन्हें भारत की जमीनी सच्चाइयों को नजदीक से जानने -समझने में मदद्गार हो रहा है। चूँकि 'नमो' एक 'धर्मयोद्धा' याने क्रूसेडर से राजनीति में परवान चढ़े हैं ,चूँकि वे आम आदमी से खास बनकर दुनिया के सामने प्रकट हुए हैं , चूँकि वे फर्श से अर्श पर पहुंचे हैं ,चूँकि वे एक मामूली 'चाय वाले से भारत के प्रधानमंत्री ' बने हैं ,चूँकि उन्होंने भाजपा को इतिहास में सर्वोच्च विजय दिलाई है ,चूँकि वे कांग्रेस को उसके किये -धरे के लिए निर्ममता से दण्डित करने में सफल रहे हैं ,इसलिए यह आशा की जा सकती है कि वे देश की जनता को ,भारतीय लोकतंत्र को और नयी पीढ़ी को निराश नहीं करेंगे। चूँकि श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने किसी वंशवाद ,किसी स्वार्थजन्य आरामदायक फिरकापरस्ती या किसी हनुमान कूंद से यह ऐतिहासिक सफलता नहीं पाई है बल्कि उन्होंने पंडित दिनदयाल उपाध्याय ,महात्मा गांधी ,सरदार पटेल और सुभाष चन्द्र बोस के बलिदान को ह्रदयगम्य किया है। वे चरैवेति-चरैवेति के उपासक हैं ,वे किसी भी तरह के भाई भतीजावाद ,भृष्टाचार और कालेधन के खिलाफ हैं। आशा की जा सकती है कि भारतीय इतिहास में 'मोदी युग' ही वास्तविक स्वर्णयुग सावित होगा ! श्री नरेंद्र भाई मोदी -प्रधान मंत्री - भारत सरकार -की समष्टिगत संफलता ही देश की सफलता है! 'नमो' की यह आर्थिक-सामाजिक -वेदेशिक - राजनैतिक -सांस्कृतिक और सर्व समावेशी विकाश की सफलता ही भारत के सम्मान की गारंटी है !
श्रीराम तिवारी
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