यूपीए पतझड़ हुआ ,कमल खिले चहुँ ओर ।
केशरिया रंग में रँगी , राजनीति की भोर ।।
पिछड़े-दलित के नाम का ,चला न कोई दाँव ।
माइनर्टीज की धोंस को ,मिला न कोई भाव ।।
यूपीए की नीतियाँ ,जन -जन हुईं कुख्यात।
इसीलिये आवाम ने , उनको मारी लात ।।
वसपा -सपा -जदयू चुके , क्षत्रप चुके तमाम।
परिवर्तन की लहर से , बीजेपी गुलफाम।।
सम्मुख कठिन चुनौतियाँ ,हावी है धनतंत्र।
जो जनता ग़ाफ़िल रही ,तो खतरे में गणतंत्र ।।
सुघड़ सुशासन चाहिए ,राष्ट्र विकास के काम।
जनता से वादे किये , पूरे करो तमाम।।
भारी जीत चुनाव की ,ज्यों आंधी के बेर।
सत्ता तो चंचल सदा , छिनत न लागे देर।।
श्रीराम तिवारी के [दोहे]
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