मैं जानता हूँ की उक्त शीर्षक के माध्यम से , मैंने 'नमो' को जो 'लाल सलाम ' किया है, वो शायद ही किसी को रास आये। मोदी जी के अंध भक्तों को तो इस तरह के क्रांतिकारी अभिवादन में भी किसी कपट-छल की बू आयगी ही , क्योंकि उनकी पाँचों भौतिक इन्द्रियाँ और पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ नितांत 'नमोमय' ही नहीं बल्कि तात्कालिक 'फीलगुड' के इस दौर में तो पूर्णतः 'संघमय' ही हो रहीं हैं। वर्तमान नकारात्मक और दिग्भ्र्म के राजनैतिक परिदृश्य में वे भी मुझसे कदापि सहमत नहीं होंगे जो मेरे हमराह -हम सोच हैं। वे शायद इस समय ततकाल ही इस तरह की सात्विक सहिष्णुता के लिए तैयार नहीं होंगे। चूँकि इन सब चीजों से बड़ा देश है इसलिए देश को मद्देनजर रखते हुए मैं श्री नरेंद्र भाई मोदी के वैयक्तिक अवदान को रेखांकित करते हुए 'लाल सलाम' पेश करता हूँ।
अभी-अभी ऐतिहासिक चुनावी जीत के तत्काल बाद वड़ोदरा [वड़ोदा ] और अहमदावाद की 'आभार' सभाओं को सम्बोधित करते हुए 'अति-विनम्र' श्री नरेंद्र भाई मोदी ने जो कुछ भी फरमाया वो सब अक्षरशः कबूल करने योग्य भले ही ना हो किन्तु असहमति के लिए भी उसमें कुछ भी नहीं है। उन्होंने इस अवसर पर दो बहुत उल्लेखनीय वाक्य विशेष रूप से इस्तेमाल किये हैं । एक तो उन्होंने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का पुण्य स्मरण किया है और भारत के सामाजिक उत्थान में उनकी महती भूमिका को सराहा है. इसका तात्पर्य यह है कि बहिन मायावती जी अब 'दलित' राजनीती से अपना बोरिया बिस्तर बाँध लें। 'नमो' ही बाबा साहेब के सच्चे उत्तराधिकारी हैं। इसके अलावा उनके सम्बोधन में एक वाक्य विशेष और विशेष रूप से प्रतिध्वनित हुआ उन्होंने कहा है - "मैं भारत का मजदूर नंबर-वन ' हूँ। याने पूँजीपति भीं अपना बोरिया बिस्तर बाँध लें। यदि ये संभव नहीं तो पांच साल बाद भाजपा और 'नमो' भी अपना बोरिया बिस्तर बाँदते नजर आयंगे। राजनीती संभावनाओं का नाम है। जो अभी-अभी घटित हुआ है वो आइन्दा भी घटित हो सकता है। जब अच्छे दिन आने वाले हों तो स्वागत क्यों न करें ?
चूँकि मैं एक मजदूर -किसान और सर्वहारा परास्त भारतीय नागरिक हूँ इसलिए श्री नरेंद्र भाई मोदी को 'साथी -मोदी ' 'कामरेड मोदी' कहते हुए लाल सलाम पेश करता हूँ। उन्हें जीत की मुबारकवाद देता हूँ। आशा करता हूँ की चुनाव के दौरान उन्होंने जो-जो वादे किये हैं -याने महँगाई ख़त्म हो जायेगी ,भृष्टाचार समाप्त हो जाएगा ,सारा भारत 'गुजरात जैसा' हो जाएगा ,पाकिस्तान घुघु बनकर दड़वे में दम दवाकर छुप जाएगा,चीन डरकर सीमाओं से भाग जाएगा ,भारत के मजदूर-किसान -नौजवान सभी को समान रूप से गरिमामय मानवीय जीवन के अनुरूप सामाजिक ,आर्थिक और राजनैतिकअवसर प्राप्त होंगे। हमारी हार्दिक -हार्दिक शुभकामनाएं हैं कि श्री नरेंद्र भाई मोदी 'बिना राग -द्धेष ' के बिना पक्षपात के सफलतापूर्वक अपने 'राजधर्म' का पालन करेगे। चूँकि वे प्रचंड बहुमत पाने वाले भारत के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री होंगे इसलिए उनसे देश के १२५ करोड़ लोगों को ढेरों आशाएँ होना स्वाभाविक है.
यह जग जाहिर है कि भारत में अभी तो एकमात्र 'नमो' ही हैं जो कार्पोरेट लाबी के परमप्रिय हैं। आरोप है लगाया जा रहा है कि इस कार्पोरेट -सरमायेदार लाबी के १० हजार करोड़ विजयी पार्टी के चुनाव प्रचार में खर्च हुए हैं। इस पूँजी की बदौलत ही 'नमो' ने राष्ट्रव्यापी प्रचंड आक्रामक धुंआधार चुनाव प्रचार किया।सबको विदित है कि इस अकूत धन और डॉ मनमोहनसिंह सरकार के बदनाम कार्यकाल की बदौलत ही भाजपा को-मोदीजी को बम्फर जीत हासिल हुई है। अब यदि यह कार्पोरेट लाबी कल से ही अपनी बेजा मांगे 'नमो ' के समक्ष रखने लगे तो कोई अचरज की बात नहीं ! मुझे ख़ुशी है कि इस महती चुनावी विजय के उपरान्त मोदी जी ने भारत के मेहनतकशों के बीच अपने आप को 'एक मजदूर ' के रूप में खड़ा करने का जज़बा पेश किया है। यदि वे वाकई सर्वहारा परस्त कोई सोच रखते हैं या गरीब किसानों -मजदूरों के हित की कोई नीति बनाते हैं तो उन्हें सबसे पहले निजीकरण,ठेकाकरण,बाजारीकरण और मुनफाखोरी पर आक्रमण करना होगा। चूँकि ये सारे तत्व उस कार्पोरेट लाबी रुपी तोते में वास्ते हैं जो मोदी भाई के खैरख्वाह हैं। क्या 'नमो' में हिम्मत है कि इन लालची अडानियों-अम्बानियों की 'धनलिप्सा' पर लगाम लगा सकें? वे ऐसा नहीं कर पाएंगे बल्कि डॉ मनमोहनसिंह की विनाशकारी नीतियों को 'दवँगता' से लागू करेंगे। ताकि उन पूंजीपतियों को संतुष्ट कर सकें जिन्होंने सत्ता के शिखर पर बिठाया है। भारत के जिन करोड़ों मजदूर-किसान ,बेरोजगार और परेशान युवाओं ने मोदी जी को और उनकी पार्टी -भाजपा को प्रचंड समर्थन दिया है वो सिर्फ इतने में ही खुश हो लें कि 'नमो' ने माना है कि 'मैं मजदूर नंबर -वन हूँ' ! वे कैसे जीते ?उनकी नीतियां क्या हैं?'संघ परिवार' ने हिंदुत्व का ध्रुवीकरण कैसे किया ?अल्प्संखयक और खास तौर से मुस्लिम वोटों का बटवारा कैसे हुआ ? राजस्थान ,मध्यप्रदेश तथा उत्तर भारत के बदनाम कांग्रेसियों ने हाराकिरी कैसे की ? 'आप' ने , ममता ने ,जय ललिता ने, आंध्र के विभाजन ने, कांग्रेस की क्या-क्या दुर्गति की इन मुद्दों पर तो कांग्रेस ही जवाव दे सकती है. किन्तु यह परम सत्य है की नरेंद्र मोदी ने उत्तरप्रदेश और बिहार को जीतकर अपना 'राजसूय' यज्ञ दिल्ली में सम्पन्न कर लिया है। इस यज्ञ में कार्पोरेट लाबी के अकूत धन के अलावा ,अमित शाह जैसे नेताओं की बुद्धिमत्ता -कार्यकुशलता और संघ परिवार के साथ-साथ दक्षिणपंथी मीडिया का भी बेहतरीन योगदान रहा है। जो भी हो भारत की जनता के बहुमत ने एनडीए ,भाजपा और 'नमो' को भारत का शासन बड़ी भारी जीत के रूप में सौंपा है इसमें कोई शक नहीं है ।उम्मीद है कि इस सरकार के बेहतर मंसूबों के लिए , जन -कल्याण के लिए , राष्ट्र -निर्माण क लिए तथा भारत निर्माण के लिए पूरा देश इस 'मोदी सरकार' के साथ कदम से कदम मिलकर चलेगा. ताकि भारत को न केवल विश्व शक्ति बनाने में बल्कि गरीबी -भुखमरी से निजात दिलाने में भी हम कामयाब हो सकें। वेशक मैं 'संघ परिवार', भाजपा , एनडीए या 'नमो ' की साम्प्रदायिक विचारधारा का कभी समर्थक नहीं रहा। किन्तु यदि वे महँगाई पर अंकुश लगाने में ,भृष्टाचार रोकने में और मेहनतकशों पर हो रहे पूँजीवादी जुल्म को रोकने में कामयाब होते हैं तो वे न केवल एनडीए ,न केवल भाजपा ,न केवल संघ परिवार बल्कि देश के वास्तविक बहुमत -जन के 'राष्ट्र नायक' भी बन सकते हैं।अभी जो कयाश लगाए जा रहे हैं कि पेट्रोलियम उत्पाद और बिजली के दामों को बढाए जाने की पूरी तैयारी है ,तो मैं उम्मीद करूंगा कि मोदीजी इन कयासों को झुठलाने में कामयाब हों।
इस अवसर पर पुनः भारत के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र भाई मोदी को उनकी प्रचंड जीत की बधाई देते हुए 'लाल सलाम' करता हूँ !
श्रीराम तिवारी
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