जय परशुराम :-
किसी दक्षिणपंथी सांप्रदायिक शख्स ने सोशल पोस्ट पर परशुराम वंशावली इस गलत फहमी के साथ पेली है कि बचपन में पढ़े पौराणिक आख्यान जीवंत हो उठे! उन महानुभाव को इस पुनरावृति के लिये शुक्रिया। हालांकि यह सब कुछ मैने बचपन में ही पढ लिया था !लेकिन जाति और कर्म प्रभाव से या जन्मना ब्राह्मंण होने के कारण यह सवाल अक्सर उठता रहा कि ब्राह्मण में इतना तेज शौर्य होते हुये भी कालांतर में संपूर्ण भारतीय जनमानस गुलाम क्यों रहा?
जब हमारे पूर्वज इतने ब्रह्मज्ञानी थे तो यह सारा साइंस,रेल-डाक,मोबाइल, टेलीविजन फोन कम्पुटर,आटोमोबाइल ,घडी से लेकर प्रेशर कुकर तक सब विदेशी क्यों है ? यहां तक कि गरीब इंसान के पक्ष में कोई कानून भारत में उस युग में क्यों नही बना ?
सर्वहारा के पक्ष में कोई आवाज हमारे पूर्वजों ने क्यों नही उठाई?जब भगवान परशुराम ने सामंतों को खत्म किया और गरीबों तथा विप्रों को सारी धरती,सारा धन दान में दिया था। तब सवाल उठता है कि सुदामा, द्रोणोचार्य क्रूपाचार्य अश्वत्थामा पाणिनि आचार्य चाणक्यऔर भारत के अधिकांस गरीब विप्रों को दर दर की ठौकरें क्यों खानी पडी ? ब्राह्मण ही सबसे अधिक गरीब क्यों रहे ? उन देव पुरुषों के वंशज आज 21 वीं शताब्दी में जाहिल पत्थरबाजों के शिकार क्यों हो रहे हैं?
सर्वाधिक बुद्धिजीवी ब्राह्मण निर्धन,लाचार और वेरोजगार क्यों हैं ? जो व्यक्ति भारत के गरीबों के बारे में सोचेगा और यदि उसमें ज़रा सी भी ईमान्दारी होगी,तो वह भगवान परशुराम जी को ज़रूर जानेगा समझेगा और उनका चरित्र पढेगा!तब उसके दिमाग का अतीत- गामी भूत भाग जायेगा !तब वह वामपंथ का विरोध भी नहीं करेगा !
क्योंकि भ्रगकुल भूषण, रेणुका नन्दन जामदग्नेय भगवान परशुराम इस धरती के पहले साम्यवादी थे! यह सत्य जान लेने वाला जातीय अन्धत्व से मुक्त हो जायेगा !उसके दिमाग का सांप्रदायिक - काल्पनिक कूड़ा कर्कट अपने आप खत्म हो जायेगा ! जय परशुराम।
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