बुधवार, 4 मई 2022

विरोध का का असर शून्य हो सकता है!

 अपराधियों के अवैध अतिक्रमण पर जब बुल्डोजर चलता है तो बदमाश संविधान की दुहाई देने लग जाते हैं,किंतु जब हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट किसी धर्मस्थल में जांच पड़ताल का आदेश पारित करे तो संविधान की दुहाई देने वाले संविधान को ही भूल जाते हैं!

ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर संदेहास्पद गति विधियों की जांच पड़ताल और वहां जरूरी पुरातात्विक सर्वेक्षण के मद्देनजर हाई कोर्ट के आदेश से भयभीत एक मौलाना ने धमकी दी है कि यदि अंदर आए तो गला काट देंगे ।
हमारे कुछ मित्र आतंकियों,षड्यंत्रकारियों, पत्थरबाजों के कुकर्मों पर अक्सर कुछ नहीं कहते,वे रात दिन केवल योगी मोदी राग बजाए जा रहे हैं! उनकी आलोचना के केंद्र में, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल तत्व बेगुनाह हैं और जो भारत विरोधी बदमाश हैं, उन्हें वे प्रगतिशील और बुद्धिजीवी दिखाई दे रहे हैं! *विनाश काले विपरीत बुद्धि*
जिस तरह लगातार एंटीबायोटिक्स लेते रहने से समय आने पर उस दवा का असर खत्म हो जाता है,लगातार दवा लेने वाले की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म होती जाती है! उसी तरह किसी व्यक्ति विशेष या विचारधारा के अंध विरोधियों द्वारा लगातार विरोध करते रहने से एक दिन विरोध का का असर शून्य हो सकता है!
अत: आलोचना करते समय बहुत सावधानी की जरूरत है,अन्यथा वक्त आने पर आम जन- साधारण बुद्धि के लोग भी आलोचकों से ऊबकर निरंकुश शासन का विरोध करने के बजाय आपसे ही नफरत करने लग जाएंगे! इस तरह जिसकी आलोचना की जाती रही, उसका बाल भी बांका नही होगा बल्कि आलोचना करनेवाले ही अविश्वसनीय होते चले जाएंगे!:-श्रीराम तिवारी

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