बाकई मेरे देश के अच्छे दिन आने वाले हैं।
नेता आसमान से तारे तोड़कर लाने वाले हैं।
छल कपट से चुनाव जीतने वाले ढ़पोरशंखी,
सात-रेसकोर्स से जादुई छड़ी घुमाने वाले हैं।
समर्थक खुशहैं कि होंगे खुशहाल मालामाल,
नंगे-भूंखे -निर्धन सब 'अडानी' होने वाले हैं।
कोई नहीं करता शिकायत अब भृष्टाचार की,
क्योंकि रिश्वतखोर खुद सत्तामें आने वाले हैं।
अब कौन बचाएगा महिलाओं अबलाओं को,
जब रक्षक ही भक्षक सत्ता में चढ़ने वाले हैं।
अब झंझट नहीं महंगाई-बेकारी जीवनरक्षा की,
जीवन संध्या वेला में जमदूत बुलाने वाले हैं।
जगाई थी आशा 'इंकलाब' की बरसों पहले जिनने
उनके सिद्धांत नीतियां हम कहाँ समझने वाले हैं।
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