सोमवार, 26 अप्रैल 2021

जब लूटना ही था तो दिया क्यों?

 एक बार चम्बल में कुछ डकैतों ने कवि संमेलन करवाया!जब कवि संमेलन खत्म हुआ तो डकैतों ने कवियों को खूब धन और जेबरात दिये!जैसे ही कवि डकैतों की सरहद से बाहर हुए,वैसे ही डकैतों ने उनको लूट लिया और जो उनको दिया था वो तो लूटा ही उनके कपड़े और घड़ी चैन भी लूट लिये ......

कवि पुन: डकैतों के पास पहुंचे और उन्होंने पूछा- जब लूटना ही था तो दिया क्यों?
डकैत बोले:- पैसे देना हमारा फर्ज था और लूटना हमारा profession.....
नोट :-इसका बढ़ी हुई मेंहगाई के दौर में कर्मचारियों के महंगाई भत्ता रोके जाने से कोई संबंध नही !

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