सोमवार, 19 अप्रैल 2021

ब्रह्मसूत्र

 अथातो -ब्रह्म् जिज्ञासा":- भारतीय वैदिक आध्यात्मिक ग्रंथ उन ऊंचाइयों पर सर्जित हैं जहां नाम, रूप, समय सब खो जाते हैं! इन ग्रंथों के अध्येता के भीतर खिला हुआ शून्य, ज्ञान के प्रकटन का सिर्फ दर्पण बनता है।

भारतीय मनस में ब्रह्मसूत्रों की अपनी खास जगह रही है। वे न तो वेद में शुमार है, न उपनिषदों में। वे वेद अर्थात ज्ञान का अंत है। वे केवल सूत्र है जिनमें सृष्टि का पूरा ज्ञान समया हुआ है। वे ज्ञान के अणुबम है। दो या तीन शब्दों में बहुत विराट बात सहजता से कह देना भारतीय मनीषियों कि विशेषता है।
इसमें ब्रह्मसूत्र अद्वितीय हे। कभी-कभी केवल दो शब्द और अव्यय के साथ वे बात कह देते है। उन्हें समझने में पूरी उम्र बीत जाती है। फिर भी कुछ पल्ले नहीं पड़ेगा।

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