अव्वल तो बेईमान चोट्टे लोग राजनीति में घुस कर शासक बन बैठते हैं, आपदा निवारण में भयंकर लापरवाही कर बैठते हैं ! जनता उन्हें यदि आइना दिखाए तो वे सच के सामने लाजबाब हो जाते हैं!तब बचाव की मुद्रा में उनका तकिया कलाम होता है- "ये राजनीति करने का वक्त नही है!"
जबकि वे खुद रात दिन सत्ता की चुनावी राजनीति में व्यस्त रहते हैं!
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