अंगारक " ( कोरोना ) के इस दौर में ,
राजनेताओं की बेशर्म बेहयाई !
चुनाव की खातिर देश को झोंक दिया भट्टी में !
जनता हार रही जीवन ,
जीवन यापन का हर साधन !
अरबों उड़ गए बन कर धुआं
वोटों की जुगत और रैलियों
में !
इफ्तारों की दावतों ,
नमाज़ों की भीड़ों ने कर दिया
कोरोना का काम आसान !
बचा खुचा अनुष्ठान कर गया पूर्ण कुम्भ महान !
जो नित हो रहे काल कवलित छोड़
आश्रितों की भीड़
महान !
क्या कुछ धन जीवनयापन को
इनको भी देंगे ये
सत्तालोभी नेता असुरसमान ?
इनके ही जैसे नराधम आज बैठे दवाखानों अस्पतालों में !
बेच रहे जीवन रक्षक दवाएं ,
साधन मनमाने क्रूर दामों
में !
हद तो ये तड़प रहे लोग चंद सासों को
और ये बन्द करके
दरवाज़े बैठ गए तालों में !
आज तक हम लड़ते आये मंदिर मस्जिद नदी औ तालाबों पे !
अब वक्त है साथ उठो आवाज़ उठाओ इनसे छीन कर
लाओ जीवनदायी दवाएं ,
साधन दवाखानों ,अस्पतालों पे !
अफसोस ये नराधम तो हमने ही पैदा किये हैं जो कुचल
रहे हमारे ही अरमानों को !
कब ऊपर उट्ठेगे हम नफरतों के फरमानों से ?
जागो आवाज़ ए हक़ बुलन्द करो बचालो अपने तबाह
होते जन्नत से आशियाने को !
यही आखिरी तदबीर अब बाकी है उतार फेंकने को
कायर बेशर्माई !
" अंगारक " ( कोरोना ) के इस दौर में राजनेताओं की
बेशर्म बेहयाई .....
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