राजनीतिक एरिना में किसी व्यक्ति या दल या विचारधारा का समर्थक होना गलत नहीं!बल्कि अंध समर्थक होना गलत है! सत्तापक्ष का विरोध करना गलत नही!किंतु हर चीज का अंध विरोध करते रहना भी सही नही!
लोकतांत्रिक राजनीति में सत्य और न्याय के पक्ष में शिद्दत से खड़ा होने के लिये व्यक्ति-समाज में खुद भी काबिलियत होनी चाहिये! अंध आलोचना से पहले हर एक को आइने में अपना चेहरा भी देख लेना चाहिये!और समर्थन करने से पहले सत्तापक्ष के गुण दोष पर नजर रखें तो राष्ट्र के लिये बहुत सम्मान और गौरव की बात होगी! लोकतंत्र में यही राष्ट्रधर्म है
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