विगत 7-8 साल में बहुत कुछ ऐंसा हुआ है कि भारत में कुछ अमीर लोगों का,खासकर गुजराती अमीर पहले से ज्यादा अमीर हो गये हैं!बेशक मुकेश अंबानी की पूँजी बहुत बढ़ी है,किंतु अडानी तो जीरो से हीरो बन गये!
इस दरम्यान गरीब मजदूर बेहाल हो गये हैं! कोढ़ में खाज की तरह एक तरफ किसान मजदूर विरोधी कानून और दूसरी तरफ कोरोना महामारी और लॉकडाऊन ने तमाम सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र को ध्वस्त कर दिया है!
भारत की आवाम ने सिर्फ मंदिर के लिये या हिंदूत्व के स्वाभिमान लिये ही दूसरी बार मोदीजी को बम्फर जनादेश नही दिया, बल्कि स्विश बैंक का कालाधन,*सबका साथ सबका विकास* के मुद्दों पर ज्यादा भरोसा किया था! किंतु अब तक कोई भी सकारात्मक कार्यवाही न होने से जन संघर्ष और किसान संघर्ष तेज हो चला है!
किंतु जनता के दुर्भाग्य से और हुकूमत के सौभाग्य से दुनिया में कोरोना वायरस की महामारी का संकट फिर से छा गया है! इसलिये अभी तमाम आंदोलन प्रतीकात्मक ही होने चाहिये
इस कोरोना महामारी ने आधुनिक मेडीकल साईंस को बहुत नाच नचाया है किंतु बहादुर मेडीकल वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने कोविड वैक्सीन बना लिया है! हालॉकि कोरोना ने विकसित राष्ट्रों,मंदिरों,मस्जिदों और धर्मांधों को धरती सुंघाकर बहुत कुछ तहस नहस कर दिया है!
इन दिनों दुनिया में लॉकडाऊन की वजह से गरीब-अमीर,काले -गोरे,सवर्ण-दलित,अगड़े- पिछड़े सभी वैश्विक जन संकट के मुहाने पर खड़े हैं!
यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारत में इस कोरोना महामारी के संकटकाल में एक सर्वशक्तिमान और नामंमकिन को मुमकिन बनाने के लिये कटिबद्ध सरकार सत्ता में है! यदि सौभाग्य से भाजपा विपक्ष में होती,और कांग्रेस सत्ता में होती,तो भक्तगण प्रधानमंत्री को ही कोरोना कैरियर घोषित कर देते! तब अन्ना हजारे,स्वामी रामदेव और तमाम जहरीले अंधभक्तों द्वारा सोनियाजी को इटली भेजने का और कांग्रेस को सत्ता छोड़ने का राष्ट्र व्यापी आंदोलन छेड़ दिया जाता! अस्तु! हो
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