मास्क बिहीन नेताओं का झुण्ड यदा कदा,
वोट के लिये जब सड़कों पर नजर आता है।
बसंतोत्तर पतझड़ जैसा कोरोना का क्रूर दृश्य,
तब सैमल पलाश भी रक्तरंजित नजर आता है।।
अंधाधुंध उमड़ रही भीड़ दवा बाजारों में अधीर,
दूर दूर तक सिर्फ मौत का मंजर नजर आता है!
इमरजैंसी ऐंबूलेंस भीड़ में फँसी हो जब कभी
रेमडेसिवर भी कोरोनाग्रस्त को खंजर नजर आता है!!
फिजाओं में उमस ऐंठती बेमौसम बर्षात जैसी
फूल पत्ते तितलियों पर कहकशां नजर जाता है!
दिन हो रात हो सुबह हो शाम हो हर आदमी को,
कोरोना काल में अपनी मौत का मंजर नजर आता है।
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