कोई क़िस्त बाकी है जो अदा नहीं !
साँसे तो बाक़ी हैं लेकिन हवा नहीं !!
नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम हैं,
डॉ.प्रिस्क्रिप्शन भी है पर दवा नहीं !
नाक मुँह क्या आँख भी ढक लीजिये,
बहुत भयानक है,मंजर दुआ कीजिये!!
जिम्मैदार हैं जो कोरोना संकट के लिये,
सलामत वे भी नही यह मान लीजिये!
करते रहे कुदरत से निरंतर छेड़छाड़ नादां,
गुनहगार वे और हमसब समझ लीजिये!!
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