जिंदगी फिर न बटोर सकोगे बिखर जाने के बाद !
फिर न लौटे सकोगे महफ़िलमें ठुकराये जानेके बाद !!
वक़्त रहते कश्तियाँ खड़ी कर दो दरिया किनारे पर,
वर्ना हटा न सकोगे इन्हें तूफान आ जाने के बाद!
डरावनी ख़बरें हैं दुनियां में आजकल कोरोना की,
रोज बढ़ता जाता है बी.पी.अखवार पढ़ने के बाद !
डाल पर जब तक खिले हैं फूल ख़ूब महकेंगे लेकिन
ख़ुशबू दे न सकेंगे गुलशन मुरझा जाने के बाद !!
झंझावतों में दिया जलाये रखें यही फलसफा है
इसे कब समझोगे पानी सर से गुजर जाने के बाद ?
ज़िन्दगी का सफ़र सूना होता है जद्दोजहद के बिना,
सुर्खरू होता है इंसा खुद कई ठोकरें खाने के बाद!
समझ लो कि ये रास्ता काँटों भरा है ज़िंदगी का,
नासमझ हैं वे जो समझ नही रहे समझाने के बाद!.
-श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें