मंगलवार, 10 नवंबर 2015

कमल छाप वालों को 'कमला' याने लक्ष्मी याने सत्ता सुख की लख -लख बधाइयाँ !

 बिहार विधान सभा चुनावों में एनडीए की करारी हार पर  'भगवा दल' को  सांत्वना सन्देश स्वरूप पेश है रहीम कवि का एक दोहा :-

 कमला थिर न रहीम  कह , या जानत सब कोय।

 पुरुष पुरातन की बधु ,   क्यों  न  चंचला  होय।।



 अर्थ ;- कवि 'अब्दुल रहीम खान-ए -खाना ' कहते हैं कि  यह  बात तो सभी जानते  हैं कि  कमला [ लक्ष्मी ]  स्थिर नहीं हुआ  करती । बृद्ध पुरुष की जबान जोरू   'चंचल' क्यों नहीं  होगी ?

भावार्थ :- कमला अर्थात यश ,कीर्ति,विजय ,सम्पदा  ऐश्वर्य और राज्य सम्पदा  कभी किसी के साथ सदा के लिए नहीं रहते। यह बात सभी विद्वानों ने बार-बार कही है। अनादि  परम पुरष  विष्णु की भार्या लक्ष्मी तो वैसे भी  'चंचल ही हुआ करती है।

सन्देश : हे  अंध श्रद्धालुओं , असहिष्णुतावादियो !  हे  कलिबुर्गी ,पानसरे,दाभोलकर  अखलाख के  हंताओ !तुम बिहार में लालू -नीतीश जैसे पिछड़ों के हाथों बुरी तरह पिटे ,यह कोई नयी बात नहीं है। हार का रंज गम मत करो। वे भी तो  कई बार पिटे हैं। तुम भी आजादी के बाद से लगतार  पिटते  ही आ रहे हो। केवल अटल महाराज ने जरूर ५-६ साल के लिए जीत का स्वाद चखा  है।  विागत मई -२०१४ में जो ऐतिहासिक जीत मिली है उसके बाद से  आप के नेता बहुत बाचाल हो गये हैं। वे तो साहित्यकारों की खिल्ली उड़ाने में भी नहीं चूके। परिणाम स्वरूप अब  न केवल बिहार बल्कि यूपी में भी आइन्दा  हार- ही - हार है।  अब तो हर प्रदेश में भाजपा ,संघ परिवार और एनडीए के लिए बिहार ही बिहार है। काम नहीं आयगी आक्रामक - जुमलों की बौछार है। अब तो तुम्हारे घर में केवल  जूतम पैजार है।  विकास -सुशासन बंटाढार  है।



सभी को दीपावली की शुभकामनाएँ <<<<<,,,,,,,,,,,,!

 कमल छाप वालों को 'कमला' याने लक्ष्मी याने सत्ता सुख की लख -लख  बधाइयाँ ! श्रीराम तिवारी 

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