सोमवार, 16 नवंबर 2015



  जब अमेरिका में ०९ /११ /२००८ को अल कायदा का आतंकी हमला हुआ और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ध्वस्त हुआ  तब   प्रतिक्रिया स्वरूप इराक के सद्दाम हुसैन ,लीबिया  के कर्नल गद्दाफी और पाकिस्तान में छिपे बैठे ओसामा-बिन लादेन को अमेरिका ने  चुन-चुन कर मारा ।इतना ही नहीं बल्कि अमेरिका का  वह प्रतिशोध  बजरिये यूएनओ बनाम  इस्लामिक वर्ल्ड -प्रतिहिंसात्मक कार्यवाही के रूप में अभी भी जारी है। तब भारत की  तत्कालीन सबसे  बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा के नेताओं ने  तत्कालीन 'मनमोहन सरकार ' को लगभग चिड़ाने वाले अंदाज में यह  नसीहत दी थी कि भारतीय  सेनाओं  को  भी अमेरिका से प्रेरणा लेकर ,फौरन पाकिस्तान में घुसकर वहाँ छिप्र बैठे २६/११ मुंबई  हमलों के दोषियों पर कार्यवाही करनी चाहिये।

वेशक  कांग्रेस और मनमोहनसिंह तो मुंबई हमलों के दोषियों को वापिस नहीं ला सके। वेशक वे आतंकवाद  के खिलाफ भी कुछ  नहीं कर सके। इसलिए  तो भारत की बहुसंख्य्क जनता ने चुनाव में उन्हें बुरी तरह से  हराकर भाजपा के 'शूरवीरों' को सत्ता में बिठाया है। अब जबकि पैरिस [फ़्रांस] पर आईएसआईएस  के हमले से समूची अमनपसंद  दुनिया आतंकवाद के खिलाफ  एकजुट हो रही है और फ़्रांस के अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों ने बड़ी  निर्ममता  से सीरिया में आईएसआईएस के मुख्यालय को ध्वस्त कर दिया है। तब भारत की बहादुर 'राष्ट्रवादी' नेताओं  की समस्या क्या है ? क्यों  टीवी चेनल्स पर  मौखिक वीरता बघार रहे हैं। जबकि उन्हें मालूम है कि  भारत पर अनेक हमलों का जिम्मेदार दाऊद दुबई में  मजे कर रहा  है। हाफिज सईद पाकिस्तान में खुले आम घूम रहा है।  तमाम कश्मीरी आतंकी और दुख्तराने -हिन्द  की गद्दार गैंग कश्मीर को खोखला कर रही है। अब  तो अमेरिका या किसी अन्य महाशक्ति के विरोध की भी वजह नहने बची ! फिर मोदी  सरकार  को क्सिका इन्तजार है ? हमारे  महान पराक्रमी स्वनामधन्य - वैश्विक नेता एवं यशश्वी  प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी  अब  विदेशी धरती पर बतौलेबाजी  क्यों कर रहे हैं ? भाषणबाजी करने के बजाय  आतंकवाद के खिलाफ कुछ करते क्यों नहीं ?   केवल गरजते ही रहेंगे कि  बरसेंगे भी ? क्या मनमोहनसिंह या कांग्रेस से बेहतर परफार्मेंस देने के अच्छे दिन अभी तक नहीं आये ?  श्रीराम तिवारी   !  

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