गुरुवार, 26 नवंबर 2015



 विगत लोक सभा चुनाव से पूर्व  बड़बोले जनरल [सेवानिवृत]  बी के सिंह [अब  केंद्रीय मंत्री]  के ऊल-जलूल भ्रामक सुझाव से प्रभावित होकर श्री नरेंद्र मोदी ने  हरियाणा की एक  चुनावी  सभा [भूतपूर्व सैनकों की ]में  पूर्व  सैनिकों से  वादा किया  था कि यदि उनकी सरकार बनी  तो पूर्व सैनिकों को 'वन रेंक वन पेंशन 'दे दिया जाएगा। केंद्र में मोदी सरकार  के सत्ता में आने के १८ महीने बाद भी  जब उनकी  इस मांग पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो  पूर्व सैनिकों ने कई दिनों तक अनशन -धरना -प्रदर्शन  किया।  सरकार ने  बिना एक कौड़ी खर्च किये ही  केवल तास  के ५२ पत्ते फेंटकर कह  दिया कि  मांग का निराकरण हो गया। पूर्व सैनिकों की 'वन रेंक वन  पेंशन ' का निराकरण हो गया है।  यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि  'हमने जो वादा किया था वो पूरा किया '।  शेष विसंगतियों का  भी सरकार शीघ्र निराकरण कर देगी।  सवाल यह उठता है कि  जब पूर्व सैनिकों की मांग मान ली गयी है तो ये पूर्व सैनिक अपने पदक और वीरता पुरस्कार  जला क्यों रहे हैं ? रक्षा मंत्री श्री मनोहर परिकर ने पूर्व सैनिकों के द्वारा पदक  जलाने  अथवा सरकार को लौटाने के सवाल पर यह क्यों कहा ? कि -'यह राष्ट्र का और सशत्र बलों  का अपमान है '! गनीमत है कि उन्होंने पदक लौटाने  वाले बहादुर सैनिकों को देश का गद्दार  नहीं कहा। या बाघा सीमा के उस पार भेजने की धमकी नहीं दी। ये  नेक काम शायद अनुपम खैर ,महेश शर्मा ,आदित्यनाथ ,जेटली ,संवित पात्रा  या शिव सेना के द्वारा सम्पन्न किया जाएगा।  शुभस्य शीघ्रम ! श्रीराम तिवारी  
                                             

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