बुधवार, 11 नवंबर 2015

सम्मान पदक लौटाने जा रहे भूतपूर्व सैनिकों को अविलम्ब पाकिस्तान भेजे जाने का फरमान जारी क्यों नहीं हुआ ?

जब साहित्यकारों ने 'असहिष्णुता' एवं साम्प्रदायिक की कदाचरण जनित हिंसा  का विरोध करते हुए अपने सम्मान पदक और इनाम-इकराम लौटाए तो 'संघ परिवार' के बग़लगीरों ने सोशल मीडिया व  अन्य माध्यमों  पर इन साहित्यिक विभूतियों को पाकिस्तान खदेड़ने का फरमान जारी किया था। अब देश के बहादुर फौजी भी सम्मान पदक लौटाने की योजना पर अडिग हैं। सवाल उठना चाहिए  कि इन सम्मान लौटाने वाले  सैनिकों को भी पाकिस्तान खदेड़ने का हुक्मनामा  'असहिष्णु परिवार' की ओर से कब तक जारी होने वाला है ?

  हालाँकि परिधान मंत्री द्वारा पूर्व सैनिकों की तथाकथित माँग [orop] 'वन  रेंक वन  पेंशन '  का पाटिया  किया जा चुका  है। सैनिकों को दिग्भर्मित  करने के बाद याने  वन  रेंक सेवन पेंशन '  का फार्मूला थोप दिया गया है। इसलिए  भूतपूर्व सैनिक और ज्यादा उग्र आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। पहले चरण में कल उन्होंने जंतर - मंतर पर पदक  जलाने की योजना बनाई ।  किन्तु वरिष्ठ साथियों की सहमति हुयी कि मेडल जलाने  के बजाय  सरकार  को लौटा दिए जाएँ।  इस बाबत वे  राष्ट्रपति भवन की ओर  पैदल मार्च की तैयारी कर रहे हैं।  जिन भारतीय बहादुर फौजियों ने  १९६५ और १९७१ में अपनी बहादुरी के झंडे लाहौर में गाड़े थे। अपनी जवानी देश की रक्षा में खपा दी थी।  आज वे  पेन्सन के मसले पर  अपने-अपने सम्मान पदक सरकार को लौटाने पर मजबूर हैं। बहरहाल प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री उन्हें मनाने का प्रयाश कर रहे हैं। किन्तु ताज्जुब  की बात यह है कि 'असहिष्णु परिवार' की ओर  से इन  सम्मान पदक लौटाने  जा रहे भूतपूर्व सैनिकों को अविलम्ब  पाकिस्तान भेजे जाने का फरमान  जारी  क्यों  नहीं  हुआ  ? श्रीराम तिवारी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें