वीसवीं सदीं के दो महायुद्ध और अनगिनत सीमित -परम्परागत युद्धों ने विज्ञान के अवदान की कीमत पर दुनिया भर में मानवता का सत्यानाश किया है !हिरोशिमा -नागासाकी जैसे त्रासद -वीभत्स नरसंहार विज्ञान के माथे पर कभी न मिटने वाला कलंक छोड़ गए हैं ! हथियारों के उत्पादक राष्ट्र और उसकी तिजारत लाबी ने दुनिया में भय -भूंख -भृष्टाचार के दल -दल निर्मित किये हैं ! विकसित राष्ट्रों व पेट्रोलियम उत्पादक राष्ट्रों के अहंकार ने दुनिया भर में असमानता , साम्प्रदायिकता ,जेहाद और अटॉमिक युध्दों के उन्मादी मरजीवड़े पैदा किये हैं ! सभ्यताओं के संघर्ष और बाजारीकरण की गलाकाट प्रतियोगिता ने मारक क्षमता के भस्मासुर पैदा कर लिए हैं ! जो इस इक्कीसवीं सदी को भी लीलते जा रहे है !
अतीत के खंडहरों के मलवे पर आपस में झगड़ने वाले भारत-पाकिस्तान जैसे पड़ोसी राष्ट्र न केवल खुद के लिए ही शत्रु बने हुए हैं,वरन 'विश्व शांति' को भी खतरे में डाल रहे हैं ! दुनिया भर में आज एक ओर खूखार आईएसआईएस ,अलकायदा ,बोकोहराम और तालिबान से न केवल गैरइस्लामिक विश्व को खतरा है बल्कि खुद दुनिया भर के शान्तिप्रिय मुसलमानों को भी खतरा है। जेहादियों ,अलगाववादियों और जातीवादियों तथा सम्प्रदायवादियों में कोई खास फर्क नहीं है। ये सभी न केवल अमानवीय शोषण के खिलाफ चल रहे संघर्ष में बाधक हैं अपितु ये साम्प्रदायिक तत्व पूँजीवाद -साम्राज्य्वाद को खाद पानी देते हैं। जो मेहनतकशों की लूट और श्रम -शोषण के लिए कुख्यात हैं। इन विपरीत हालत में भी यह परिदृश्य आशान्वित करता है कि विश्व शांति ,विकास और न्याय आधारित व्यवस्था के लिए इस दौर में भी दुनिया के कुछ बेहतरीन मुठ्ठी भर लोग संघर्ष किये जा रहे हैं ! उनका मकसद है कि :-
हिंसा ,युद्ध जातीय -उन्माद के जलजले ,,,,,,,,नहीं चलेंगे !
मानवता ,विश्वशांति ,समाजवाद ,,,,,,,स्थापित करके रहेंगे !!
सबको शिक्षा ,सबको स्वास्थ्य ,सबको रोटी -कपड़ा -मकान, सबका एक समान विकास जिसमें हो वो व्यवस्था स्थापित करके रहेंगे !
विश्व शांति अमर रहे ! विश्व शांति दिवस ---जिन्दावाद !
इंकलाब -जिन्दावाद ,,,,,,,,,!
श्रीराम तिवारी !
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