मंगलवार, 18 अगस्त 2015

" यद्द्पि शुद्धम् लोक बिरुद्धम् ,न कथनीयम् न कथनीयम् !"



हमारे   प्रधान मंत्री मोदी जी जब -विकास ,सुशासन ,मेकिंग इंडिया ,डिजिटल इंडिया ,भृष्टाचार मुक्त भारत और सर्व सम्पन्न   भारत की बात करते हैं, तो मोदी के मतवालों का ह्रदय  हुम् -हुम्  करने लगता है। मेरा मन भी कदाचित कहता  है कि  'काश मोदी जी जो -जो वादे या घोषणाएं करते हैं -वो पूरी हो जावें ! ताकि ये रोज-रोज की बनावटी - ढ़पोरशंखी भाषणबाजी से मुक्ति मिले !

यूएई से वापिसी पर आनन -फानन मोदी जी ने  आरा [बिहार]  की विशाल आम सभा में एक लाख पेंसठ हजार करोड़ की चुनावी रेवड़ी  बांटने की महती  घोषणा कर दी  है ।  बिहार की राजनीति पर हावी मंडलवादी नेताओं  के चेहरों पर हवाइयाँ  उड़ रही हैं। अब यह मान लेने में कोई हर्ज नहीं  कि बिहार वालों  की तो  बल्ले-बल्ले  होने वाली है। गोकि  बिहार अब आर्थिक रूप से 'पिछड़ा'  नहीं रहेगा।  लेकिन  यह हैरानी की बात अवश्य है कि बिहार में  'पिछड़ों' की राजनीती  को खत्म करने के लिए मोदी जी ने जो सवा लाख  करोड़ का विशेष पैकेज आरा की आम सभा में  किसी शहंशाह की तरह खैरात में दिया  है ,वो  क्या अपनी जेब से दिया है ? क्या उनके कार्पोरेट    मित्रों -अम्बानी -अडानी का  है ! नहीं ,बल्कि  देश का है। और स्वाभाविक रूप से बिहार का भी है। समझदार लोग जानते हैं कि मोदी जी का यह बिहार विकास प्रेम नहीं है।  बल्कि यह तो 'भारत बिजय' के रास्ते  में आ रही बिहारी रुकावट को दूर करने का गेम  है। यह विशुद्ध चुनावी राजनीतिक का निहित  स्वार्थपूर्ण  -अवसरवादी  - वर्चश्ववादी  खेल है। क्या यह  मँहगी और लोक लुभावन घोषणा अन्य  पिछड़े राज्यों की जनता को भी मंजूर है? 
                          जिन राज्यों में भाजपा  की  सरकार  तो वर्षों से है  किन्तु आर्थिक हालात बिहार से भी बदतर हैं ? यदि जो  राज्य  आज भाजपा के कब्जे में नहीं हैं , लेकिन जहाँ चुनाव   होने वाले  हैं  ,वहाँ के  लिए विशेष आर्थिक पैकेज दिया जाना  शक्य  है ,तो यह सुविधा वहाँ  क्यों नहीं  जहां भगवा झंडा वर्षों से लहरा रहा है ?  मोदी जी की यह 'आरा' घोषणा - न केवल 'संघ' समर्थकों के लिए  भी  यह सोचने की बात है। बल्कि  यह  'स्वयंभू राष्ट्रवादियों  के लिए और  शिवराज जी जैसे  मोदी पीड़ित मुख्य मंत्री के लिए तो और भी सोचनीय है  !

ऐंसा समझा जा सकता  है कि मध्यप्रदेश के लोग यदि १५ साल से भाजपा को ही जिताये जा  रहे हैं तो वे  बड़ी भयंकर  भूल किये जा रहे हैं ! क्योंकि यदि यहाँ भी बिहार की तरह ही  गैर भाजपा की सरकार होती तो उसे हराने के लिए भी  मोदी जी शायद   बिहार की तरह  ही मध्यप्रदेश को भी कब  की मुँह  मांगी मुराद  भी दे चुके  होते ! यह सर्वविदित है कि  मोदी जी विगत १५ महीने से मध्यप्रदेश  के मुद्दों को अटकाए हुए हैं।  केवल आश्वाशन ही दिए जा  रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज  सिंह चौहान को हर बारे दिल्ली से  घोर निराशा और रुसवाई  ही हाथ लगी है। पहले तो केंद्र में कांग्रेस की सरकार का बहाना हुआ करता था । लेकिन अब तो मोदी जी के नेतत्व में दिल्ली में एनडीए की सरकार  है। सैयां भये कोतवाल फिर भी   नतीजा  ठनठन गोपाल ! मध्यप्रदेश में  कोई भी फौरी या दूरगामी  विकाश योजना अब तक  फलीभूत नहीं हो  पाई है। निवेश का नाटक खूब खेल गया किन्तु धेला  हाथ नहीं आया। केवल आंकड़ों की बाजीगरी में या डीमेट -  व्यापम कांडों में ही एमपी  आगे है। वर्ना विकास की  असलियत यह है कि मध्यप्रदेश में  बेहद  महंगी बिजली भी अब बड़े शहरों तक ही सिमट  कर रह गयी है। गाँवों तो बिजली पानी सड़क हर चीज के मामले में पहले से भी ज्यादा बर्बादी की कगार पर हैं। बड़े शहरों में ही जब  सड़क बिजली ,शिक्षा  और स्वाश्थ बदहाल  है। तो गाँव और कस्वों की  हालत  का क्या कहना ? मध्यप्रदेश की इतनी बुरी हालत तो कांग्रेस के ज़माने में भी नहीं थी।क्या मोदी जी 'आरा' की तरह यहाँ तभी कुछ  नजर - ऐ  -इनायत फरमाएंगे ?  क्या यहाँ भी तभी कुछ  हो सकेगा जब भाजपा को  मध्यप्रदेश की  सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा  ?  क्या तभी कोई सवा लाखिया पैकेज नमूदार होगा ?   

दुबई में तो मोदी जी ने बार-बार  यों  दुहराया कि -'बताएं -'बिजली चाहिए कि  नहीं ? मुझे ताज्जुब हुआ ही कि  यह सवाल मध्यप्रदेश ,राजस्थान ,छग और झारखंड में क्यों नहीं पूंछते ? वहाँ  बुर्ज खलीफा के सामने जगमग - जगमग यूएई में ,सर्व सम्पन्न एनआरआई मानव  समूह के समक्ष ,भारत के  प्रधानमंत्री द्वारा अपने ही वतन के अँधेरे का बखान  शौर्यगाथा  की तरह क्यों किये जा रहे थे ? क्या यह एक जिम्मेदार नेता का दायित्व नहीं है कि राष्ट्रीय आंतरिक दुर्व्यवस्था का कुत्सित बखान  कम से कम ओरों के घर जाकर तो न करे ? क्या यह महज आगामी चुनाव की लोक लुभावन लीला नहीं है ? मोदी जी ने यूएई में भी अनायाश ही नहीं बल्कि जानबूझकर  ही  पूर्वी भारत को पष्चिम से पिछड़ा बताया है !  वेशक वे सही हों !लेकिन  उनका  यह बड़बोलापन अपनी जांघ उघारने जैसा ही कृत्य  है ! उन्हें शायद ही  इस सुभाषित -लोकोक्ति का ज्ञान होगा  कि :-

" यद्द्पि शुद्धम्  लोक बिरुद्धम् ,न कथनीयम्  न कथनीयम् !"

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने  विगत स्वाधीनता दिवस याने -पंद्रह अगस्त को लालकिले की प्राचीर से जो कुछ  भी वयान किया है उससे तो यही लगता है कि  वे चुनाव -प्रचार के मोड़ पर ही  अटके हुए हैं। यूएई में तो उन्होंने गजब ही कर दिया। वहाँ  जाकर श्रीलंका के मछुवारों की ,नेपाल के भूकम्प पीड़ितों की , बांग्ला देश के साथ  हुई  ताजातरीन भौगोलिक युक्तियुक्तकरण संधि की तारीफ़ अपने ही  मुखारविंद से  करते हुए मोदी जी बहुत छुद्र और  बड़बोले नेता लग रहे थे। आत्ममुग्ध्दता से पीड़ित  मोदी जी ने भारत की जनता के सनातन सवालों  पर तो मानों  चुप्पी ही  साध रखी है ।जबकि हलकट ठिलवई  से  अपने पिछलग्गू श्रोताओं  का मनोरंजन वे कुशलतापूर्वक किये जा रहे हैं।

'असली'  लाल किले की प्राचीर से - पंद्रह अगस्त को उन्होंने हजारों बच्चों- बुजुर्गों  को गर्मी-उमस में घंटों तक  भूँखा -प्यासा बिठाये रखा। और खुद पानी पी- पी कर मोदी जी  अपना उबाऊ भाषण पेलते रहे  । लेकिन  ये तो फिर भी घर की बात है।  दुबई -अबुधाबी में  पचास हजार उपस्थ्ति भारत समर्थकों  व देश -दुनिया के करोड़ों दीगर  शत्रु-मित्र राष्ट्रों के जनगणों  को सुनाते हुए मोदी जी ने जो कुछ भी  बयान किया वो  गौरवपूर्ण नहीं कहा  जा सकता। भारत में करोड़ों गरीबों के  ज़ीरो बैलन्स  वाले खाते  खुलवाने में गर्व  की बात क्या है ?  इसमें दुबई या अबुधाबी के लोगों  की क्या दिलचस्पी हो सकती है ? भारत के गाँव-गाँव में टॉयलेट नहीं हैं  ,रक्षाबंधन पर भाइयों द्वारा  बहिनों को गिफ्ट में बीमा पॉलिसी देने  का सुझाव  इत्यादि मुद्दों का चटखारे लेकर  बखान करने कि  ताकत क्या काबिले तारीफ़ है ?  दुबई में उनका यह कहना कि 'मेरे सत्ता में आने से पहले भारत में चारो ओर  अँधेरा  ही अँधेरा था'।  क्या इस तरह  के शान बघारु - झूंठे  जुमलों से  भारत की जग हंसाई नहीं  हो रही ?

 मोदी जी के उबाऊ भाषणों  को   पूरा सुनने  की  जिसमें  भी क्षमता  होगी वो निश्चय ही बड़े 'कलेजे' वाला  ही हो सकता है। यह पहली बार नहीं हुआ कि  मोदी जी ने  किसी दूसरे  देश में जाकर बार-बार यह जताने की कोशिश  की है कि  भारत अभी तक निहायत ही गंदा ,भुखमरा और निर्धनतम देश है।  मोदी जी से पहले वाली किसी भी सरकार ने  या  किसी नेता  ने कुछ नहीं किया है। अब मोदी जी सत्ता में आये  हैं  सो सब कुछ ठीक करने में जुटे  हुए हैं । उनके इस अनर्गल प्रलाप में रूचि किसे थी ?वेशक प्रवासी भारतीयों के अंतर्मन में गहरे तक पैठी हुई  - मर्म   में छुपी हुयी भारतीय राष्ट्रनिष्ठा  ही है जो 'मोदी -मोदी ' का तुमुलनाद किये जा रही थी।  इस अवसर पर  वहाँ  दुबई में बिहार ,बंगाल ,उड़ीसा और उत्तरप्रदेश को पिछड़ा बताकर ,भारत को अविकसित - अंधकारमय बताकर मोदी जी  अब खुद ही पिछड़ने लगे हैं ।


                                                                           श्रीराम तिवारी


 

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