रविवार, 9 अगस्त 2015

पाखंडी नेताओं की गैंग में, शामिल हो जाता है आदमी।।



 मिलता  है जब सत्ता -पॉवर,  तो बहक जाता है आदमी।

 अक्सर ज्यादा बोलने पर भी  , उलझ जाता है आदमी।।


 जिसके  बोलबचन निकृष्टतम , शब्दाडंबर हों भदेस गँवारू  ,

 चुनावी सभा  में भीड़ देख  ,ठिलवई पै उत्तर आता  है आदमी।


    औरों की मेहनत पर मौज  करे  , कृतज्ञता का स्वांग भरे ।

   ऊँचे पद  पर प्रतिष्ठित ये , कितना गिर जाता  है आदमी।।


   चमचों  की तमन्ना है कि कोई ,गॉडफादर  उन्हें दुलारे ।

    पाखंडी  नेताओं  की गैंग में, शामिल हो जाता है आदमी।।




  श्रीराम तिवारी






 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें