मिलता है जब सत्ता -पॉवर, तो बहक जाता है आदमी।
अक्सर ज्यादा बोलने पर भी , उलझ जाता है आदमी।।
जिसके बोलबचन निकृष्टतम , शब्दाडंबर हों भदेस गँवारू ,
चुनावी सभा में भीड़ देख ,ठिलवई पै उत्तर आता है आदमी।
औरों की मेहनत पर मौज करे , कृतज्ञता का स्वांग भरे ।
ऊँचे पद पर प्रतिष्ठित ये , कितना गिर जाता है आदमी।।
चमचों की तमन्ना है कि कोई ,गॉडफादर उन्हें दुलारे ।
पाखंडी नेताओं की गैंग में, शामिल हो जाता है आदमी।।
श्रीराम तिवारी
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