पानी परमात्मा, पानी ही आत्मा , सृष्टि का कारण भी एकमात्र पानी है।
ये आकाश गंगा , ये नीहारिकाऐं, ये सूरज ये चंदा कुदरत की निशानी है।
है जितना भी जूना ब्रह्माण्ड सारा, ये धरती हमारी उतनी पुरानी है।
बनावट में इसकी उन्तीस भाग भूतल ,इकहत्तर में केवल पानी ही पानी है।
पहुंच तो गए हम सितारों से आगे ,मिला नहीं अब तक कहीं हमें पानी है।
भले ही बसा लें चाँद -मंगल पर बस्ती, पानी बिना फिर भी नहीं जिंदगानी है।
श्रीराम तिवारी
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