मंगलवार, 1 सितंबर 2015

अंसारी साहब आपने डॉ राधकृष्णन या अब्दुल कलाम से कुछ नहीं सीखा !

 वैसे तो देश के संविधानिक पदों पर प्रतिष्ठित लोगों  से  यही उम्मीद की जाती है कि  वे देश की जनता को  'समग्र' नजर से देखें। अपनी बोली बानी भी मर्यादित रखें ! यदि कुछ भड़ास अभिव्यक्त ही करना है तो खूब भाषणबाजी करें ,राजनीति भी  करें किन्तु उससे  पहले त्यागपत्र दें और पद छोड़ें ! इस संदर्भ में जनाब अंसारी साहब -उपराष्ट्रपति भारत ,और सभापति - राज्य सभा ,के बोल बचन से  न केवल  देश की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है बल्कि खुद  अंसारी साहब भी अपनी ही भद पिटवा रहे हैं ! उच्च संवैधानिक पद  का  उन्होंने मजाक बना डाला है !

  जनाब अंसारी साहब आपका  यह कहना सही हो सकता  है कि 'सबका साथ सबका विकास' तभी सम्भव होगा जब  देश के  अल्पसंख्यक वर्ग को  भी साथ में लिया जाए ! किन्तु मैं कहूँगा कि  आप केवल मुसलमानों के ही शुभचिंतक न होकर सभी  वर्गों के ,बल्कि देश के  भी शुभ चिंतक बने  ! जब  आपने मुस्लिम वर्ग के लिए इतनी  मर्यादा लांघकर -आवाज  उठाई है तो उनकी बात  भी करें जो पाक्सितान से प्रशिक्षित होकर  भारत  में घुसे और यहाँ भारतीयों [हिन्दू-मुस्लिम दोनों] को मारकर भारत का मजाक उड़ा रहे  हैं !  मुझे याद नहीं कि  आपने कभी हाफिज सईद ,दाऊद या अन्य आतंकियों पर कभी एक शब्द भी कहा  हो !  चलो यह गुनाह तो आपका माफ़ किया जा सकता है किन्तु आप  ने देश के तमाम शोषित -मेहनतकश वर्ग  के उथ्थान की  भी कभी कोई बात नहीं की  ! यदि आप साम्यवादियों -वामपंथियों की तरह यदि सभी  गरीबों -शोषितों के हित की बात करते तो  - शायद मुसलमानों का भी उद्धार अवश्य ही होता। किन्तु आप ने केवल  मुसलमानों के साथ  हो रही तथाकथित   ना इंसाफी की बात की है ! इससे तो पाकिस्तानी आतंकियों का  हिंसक उन्माद जस्टीफाई होता है ! अंसारी साहब  आपने मोदी सरकार की आलोचना के बहाने भारत की इज्जत को चूना लगाया है। यह देश की बिडंबना है कि  फिर भी आप पद पर बने हुए हैं।  आपने पाकिस्तान के हाफिज सईद और  सरताज अजीज जैसे सिरफिरों की पैरवी की है। आज जब पाकिस्तानी हुक्मरान  भारत को बर्बाद करने के लिए 'परमाणु बम्ब' की धमकी  दे रहे हैं।  इन हालात में अंसारी साहब  के बोलबचन न काबिले बर्दास्त हैं। जनाब अंसारी साहिब  आपने मोदी सरकार को नहीं बल्कि भारत की आत्मा को  छलनी  किया है !

 वेशक   केंद्र में जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है , किसी भी वर्ग का कोई  खास भला नहीं हुआ है ।  महँगाई  बढ़ी है। भृष्टाचार बढ़ा है।  जन-कल्याणकारी योजनाओं को खत्म किया गया है। जो मनरेगा जैसे जनहितकारी काम थे वे भी बंद हो गए। आज एक  काम वाली बाई[अधिकांस हिन्दू] केवल  हजार-दो हजार रूपये महीने  में  घर-घर  बर्तन-कपडे धोने या झाड़ू -पोछे का काम करती है।  कोई स्कूल में आया है , कोई प्रायवेट स्कूल  में टीचर है , कोई ठेका मजदूर यही ,कोई सेक्योटीगार्ड है ,उसे न्यूनतम वेतन नहीं मिलता ,पीएफ व  बीमा  काटने  पर भी जमा नहीं होता। फिर भी मनमोहनसिंह [यूपीए ]के राज में कम से कम उन्हें प्याज तो १० रुपया किलो और तुवर दाल ४५ रुपया किलो  मिल जाती थी ! मोदी सरकार के आने के बाद  तो प्याज ६० रूपये और तुवर दाल १६० रूपये तक जा पहुंची है। मोदी सरकार के सौजन्य से  वेशक अडानी-अम्बानी  और देश के  व्यापम  जैसे  भृष्ट अफसरों  की आमदनी बढ़ी है। किन्तु प्रायवेट सेक्टर में पिस  रहे  'रोजनदारी मजदूर  [ सूखा-ओला  ,कर्ज पीड़ित किसान -हिन्दू-मुसलमान दोनों] बहुत बुरी हालत में हैं । अंसारी साहब आप की तंग  नजर और संकीर्ण मानसिकता का आलम ये है कि फिर भी आपको केवल  मुसलमानों की चिंता है ?  धन्य है ,,,,!

जनाब अंसारी साहब  आपकी समस्या यह है कि दरअसल  आप  उस गरिमा और उचाई के काबिल थे  ही नहीं , जिस बुलंदी और मुकाम  पर कांग्रेस ने ,यूपीए  ने या देश के निर्वाचित प्रतिनिधियों  ने  आपको  बिठाने का इंतजाम किया है  । अंसारी साहब  आप भूल गए कि आपकी एकमात्र योग्यता यही थी  कि  आप  'अल्पसंख्यक' वर्ग से आते हैं! यदि आप मुसलमान नहीं होते ,तो कोई और भारत का  उपराष्ट्रपति होता ! आप  राज्य सभा के  पदेन -सभापति  भी नहीं होते  ! अंसारी साहब आप को ऊँचा उठने के लिए और कितना चाहिए ?   जिस कौम  को  आपने शोषण का शिकार बताया है ?  उसे आप से नहीं बल्कि जावेद अख्तर  जैसे मुसलमानों से ही सही मार्ग  दर्शन मिल सकता है।  जो भारत के मुसलमानों को आपकी तरह भड़काते नहीं बल्कि संघर्ष का माद्दा पैदा करते हैं ,व्यापक एकता की बात करते हैं और पाकिस्तानी या गैर मुल्की मुसलमानों की बदहाली देखकर हिन्दुस्तान के  मुसलमानों को 'यही मादरे वतन है ' की नसीहत देते हैं ! वेशक आप सोनिया गांधी और  कांग्रेस  की ओर से उनकी वोट बैंक वाली सनातन  राजनीति  के प्रतीक मात्र हैं!  किन्तु भारत की  १२२ करोड़ जनता ने तो  आपको  तहेदिल से उपराष्ट्रपति ही माना  है !  बाकई  अन्याय और भेदभाव  तो उन सैकड़ों-हजारों   गैर मुस्लिम  योग्यतम  भारतीय विदावनों के साथ भी   हुआ है ,जो सिर्फ इसलिए उपराष्ट्रपति नहीं बन सके क्योंकि एक 'अल्पसंख्यक '  के रूप में अंसारी साहब को तरक्की देनी थी  ! जबकि  वंचित लोग आपसे कई गुना बेहतर विद्वांन , देशभक्त और रोशनख्याळ हैं ?
        आपने किसी अल्पसंख्यक फोरम  में जो  कुछ भी फ़रमाया है ,वो यदि सच भी है तो क्या  देश के ९० करोड़ हिन्दू और अन्य अल्पसंख्य्क यह मानले कि  आप 'निष्पक्ष ' हैं ? जो लोग मंडल -कमंडल की बात कर रहे हैं ,जो लोग ओबीसी की बात कर रहे हैं ,जो लोग केवल अपनी जात ,अपने हम-मजहब की बात कर रहे हैं , क्या आप उनसे बेहतर  हैं ?बल्कि आपसे बेहतर तो वो हैं  जो 'सबकी बात कर रहे हैं ' और जो   २-सितमबर को मैदाने जंग में -राष्ट व्यापी हड़ताल में शामिल होकर  मोदी सरकार को ललकार रहे हैं ! अंसारी साहब - यदि  आप इन मेहनतकशों के पक्ष में दो शब्द कहते ! तो कोई और बात होती !


   श्रीराम तिवारी


 

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