इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
गुरुवार, 6 अगस्त 2015
साम्प्रदायिकता तो सामंतवाद की नाजायज औलाद है ,जिसे पूंजीवाद और आतंकवाद ने परवान चढ़ाया है। सत्ता के दरबारी शातिर शकुनियों ने हर किस्म की बाजीगरी से इस साम्पदायिकता के शैतान को हमेशा ही मेहनतकश सर्वहारा वर्ग के खिलाफ इस्तेमाल किया है।
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