जब गुजरात के पटेल-पाटीदार लोग ही 'मोदी के मन की बात ' नहीं सुन रहे हैं , तो शेष भारत के अधिसंख्य जन-समुदाय को मोदी जी के भाषणों और 'मन की बातों ' में अभिरुचि क्यों है ? मान लें कि एनडीए और नरेंद्र मोदी को देश की जनता ने १५ साल के लिए 'वाकओवर' दे दिया है और मोदी जी के नेतत्व में ही पूरा भारत गुजरात मॉडल से भी आगे निकल चुका होगा। तब इस बात की क्या गारंटी है कि गुजरात जैसी सम्पन्नता के वावजूद , देश के हर कोने से सैकड़ों -हजारों हार्दिक और उनके सजातीय बंधू-बांधव जातीय आरक्षण हेतु उग्र - हिंसक आंदोलन नहीं चलाएंगे ? यदि गुजरात का मोदी प्रणीत तथाकथित 'विकास माडल' इतना ही सफल है, तो फिर गुजरात में ये 'हार्दिक' कोहराम क्यों मचा हुआ है ?
श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें