रविवार, 27 अगस्त 2023

हिन्दू मूर्ति पूजा क्यों करते हैं ?*

 *हिन्दू मूर्ति पूजा क्यों करते हैं ?*

*स्वामी विवेकानंद को एक राजा ने अपने भवन में बुलाया और बोला, "तुम हिन्दू लोग मूर्ति की पूजा करते हो l* *मिट्टी,पीतल,पत्थर की मूर्ति की, पर मैं ये सब नही मानता।*
*ये तो केवल एक पदार्थ है।*
*उस राजा के सिंहासन के पीछे किसी आदमी की तस्वीर लगी थी। विवेकानंद जी की नजर उस तस्वीर पर पड़ी।*
*विवेकानंद जी ने राजा से पूछा -- "राजा जी, ये तस्वीर किसकी है?"*
*राजा बोला -- "मेरे पिताजी की।"*
*स्वामी जी बोले, "उस तस्वीर को अपने हाथ में लीजिये।"*
*राज तस्वीर को हाथ मे ले लिया।*
*स्वामी जी राजा से -- "अब आप उस तस्वीर पर थूकिए!"*
*राजा -- "यह आप क्या बोल रहे हैं स्वामी जी.?*
*स्वामी जी -- "मैंने कहा उस तस्वीर पर थूकिए..!"*
*राजा (क्रोध से) -- "स्वामी जी,आप होश मे तो हैं ना? मैं यह काम नहीं कर सकता।"*
*स्वामी जी बोले -- "क्यों? यह तस्वीर तो केवल एक कागज का टुकड़ा है,और जिस पर कुछ रंग लगा है। इस में ना तो जान है,ना आवाज,ना तो यह सुन सकती है,और ना ही कुछ बोल सकती है। और इसमें ना ही हड्डी है और ना प्राण। फिर भी आप इस पर कभी थूक नहीं सकते। क्योंकि आप इस में अपने पिता का स्वरूप देखते हो। और आप इस तस्वीर का अनादर करना अपने पिता का अनादर करना ही समझते हो।"*
*थोड़े मौन के बाद स्वामी जी फिर बोले --"वैसे ही, हम हिंदू भी उन पत्थर, मिट्टी,या धातु की पूजा भगवान का स्वरूप मान कर करते हैं।*
*भगवान तो कण-कण में है, पर एक आधार मानने के लिए और मन को एकाग्र करने के लिए हम मूर्ति पूजा करते हैं।*
*स्वामी जी की बात सुनकर राजा ने स्वामी जी के चरणों में गिर कर क्षमा माँगी*
🙏🏻🌷💫🌷🙏🏻

जग उपजे दो ब्राह्मण: परशुराम बाजीराव।

 80 साल की उम्र के #राजपूत #_राजा__छत्रसाल जब मुगलो से घिर गए,और बाकी राजपूत राजाओं से कोई उम्मीद ना थी तो उम्मीद का एक मात्र सूर्य था " ब्राह्मण बाजीराव बलाड़ पेशवा"

एक राजपुत ने एक ब्राह्मण को खत लिखा:-
जो गति ग्राह गजेंद्र की सो गति भई है आज!
बाजी जात बुन्देल की बाजी राखो लाज!
( जिस प्रकार गजेंद्र हाथी मगरमच्छ के जबड़ो में फंस गया था ठीक वही स्थिति मेरी है, आज बुन्देल हार रहा है , बाजी हमारी लाज रखो) ये खत पढ़ते ही बाजीराव खाना छोड़कर उठे उनकी पत्नी ने पूछा खाना तो खा लीजिए तब बाजीराव ने कहा
अगर मुझे पहुँचने में देर हो गई तो इतिहास लिखेगा कि एक #क्षत्रिय_राजपूत ने #मदद मांगी और #ब्राह्मण भोजन करता रहा "-
ऐसा कहते हुए भोजन की थाली छोड़कर #बाजीराव अपनी सेना के साथ राजा #छत्रसाल की मदद को बिजली की गति से दौड़ पड़े । दस दिन की दूरी बाजीराव ने केवल पांच सौ घोड़ों के साथ 48 घंटे में पूरी की, बिना रुके, बिना थके आते ही
ब्राह्मण योद्धा बाजीराव बुंदेलखंड आया और फंगस खान की गर्दन काट कर जब राजपूत राजा छत्रसाल के सामने गए तो छत्रसाल से बाजीराब बलाड़ को गले लगाते हुए कहा:-
जग उपजे दो ब्राह्मण: परशु ओर बाजीराव।
एक डाहि राजपुतिया, एक डाहि तुरकाव।।
* * *
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बिहार के जातीय समाज का चेहरा पहले से ज्यादा वीभत्स और कुरूप हो चुका है!

 बचपन से बिहार उड़ीसा के बारे में सुनता आ रहा हूँ कि उस राज्य की राजनीति में पिछड़ेपन के अलावा कुछ खास नहीं है! बिहार में वही राज कर सकता है जो *राग पिछड़ापन*गाते हुए बिहार को कंगाली की खाई में धकेल दे !

बिहार में विगत 45 साल से पिछड़ा या दलित ही मुख्यमंत्री बनता रहा है! किंतु न तो बिहार का पिछाड़ापन खत्म हुआ और न ही तथाकथित पिछड़े वर्ग के विकास पुरुषों और चाराखोर नेताओं की मानसिकता में कोई सकारात्मक परिवर्तन हो सका है!
बेशक बिहार में एक दो जातियों का आर्थिक पिछड़ापन तो दूर हो गया है,किंतु सत्ता में बने रहने के लिये उन जातियों के भ्रस्ट दबंग नेताओं का मानसिक पिछड़ापन अभी तक दूर नही हुआ! बिहारी राजनीति ने जातिवाद को सबसे महत्वपूर्ण बना दिया है? वहाँ शिक्षा स्वास्थ्य, पेयजल,बाढ़ की विभीषिका रोकने के स्थाई निदान के लायक मानसिक चेतना का कोई चिन्ह दिखाई नही दे रहा है?
बिहार के जातीय समाज का चेहरा पहले से ज्यादा वीभत्स और कुरूप हो चुका है!
बिहार से इतर भारतीय समाज में पटेल-पाटीदार,प्रधान, पोद्दार,मुखिया,मौरूसी, लम्बरदार,जमींदार, सेठ ,साव ,साहू और चौधरी ये सब जाति,वर्ण या गोत्र नहीं हैं। बल्कि ये सब तो भारत की सामंकालीन शासन व्यवस्था के अंग हुआ करते थे! ये सभी शक्तिशाली पद युगों युगों तक सबल और सक्षम समाज की पदवियाँ रहे हैं। मंडल आयोग ने इन सबको पिछड़ा घोषित कर कोई उपकार नही किया. बल्कि आरक्षण के नाम पर सदा सदा के लिये पिछड़ेपन का दाग लगाकर कलंकित किया है!
मध्युग में व्यवस्था संचालन के लिए राजे -रजवाड़े अपने हाकिम -कारकुन रखते थे। जाहिर है कि उन्हें राज्याश्रय भी प्राप्त था। प्रस्तुत पदवीधारी समाज खाते -पीते खास लोगों का ही हुआ करता था। अब यदि ये सनातन से सम्पन्न समाज भी मौजूदा दौर में आरक्षण मांगने की दयनीय अवस्था में आ चूका है तो उनका क्या हाल होगा ? जिनके पूर्वज पहले सिर्फ आम आदमी हुआ करते थे!
और उनका क्या होगा जो जाति से तो ऊँचे थे, किंतु पेट भरने के लिये भीख मांगा करते थे!यदि पिछड़े नेताओं के दबाव में पी एम मोदीजी ने जातीय जनगणना का प्रस्ताव मान लिया तो हिंदू समाज आपस में उलझ कर कमजोर हो जाएगा और यह आत्मघाती कदम भारत को पुन: गुलामी की माँद में धकेल सकता है!
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व्याप्त आनन्द है जिस फिजामें,मेघ नभ में छाये हुए हैं।

 हंस लम्बी उड़ानों के ,क्रांति पथ को सजा्ये हुए हैं।

छोड़ यादों का कारवां,आज ही होश आये हुए हैं ।।
साथी मिलते गये नए नए ,कुछ अपने पराये हुए हैं ।
फलसफा पेश है पुर नज़र ,लक्ष्य पै हम टिकाये हुए हैं ।।
व्याप्त आनन्द है जिस फिजामें,मेघ नभ में छाये हुए हैं।
युग युग से रहे जो प्यासे,आज क्षीर सिंधु में नहाये हुए हैं।।
अपनी चाहत के रंग बदरंग,खुद अपने सजाये हुए हैं।
औरों की खता कुछ नहीं है, गुल अपने खिलाये हुए हैं।।
जन्मों जन्मों किये धतकरम ,क़र्ज़ उसका चढ़ाए हुए हैं।
जख्म जितने भी हैं जिंदगी के, मर्ज़ अपने कमाए हुए हैं।।
खुद ही भूले हैं अपने ठिकाने,दोष गैरों पै लगाए हुए हैं।
वक्तने सबको ऐंसा है मारा,नींद खुद की उड़ाए हुए हैं।।
श्रीराम तिवारी

चंद्रयान-3 की अपार सफलता.........

 चंद्रयान-3 की अपार सफलता ने भारतीय जनमानस को राष्ट्रीयता की भावना से ओतप्रोत कर दिया है। सारी दुनिया भारत और इसरो की मुरीद होती प्रतीत हो रही है।किंतु दुनिया के कई देश इस खबर से या तो हक्के बक्के हैं या बगलें झांक रहे हैं। पाकिस्तान के पत्रकार और अनेक बुद्धजीवी खुले दिल से चंद्रयान 3 की तारीफ कर रहे हैं,किंतु *मदरसा माईंड* लोग चंद्रयान-3 की सफलता को काल्पनिक कहानी बता रहे हैं। भारतीय चंद्रयान की सफलता पर यूरोप,चीन और BBC की बोलती बंद है।

इधर भारत के कुछ विपक्षी नेताओं को,टुकड़े- टुकड़े गेंग को,चाराखोर,रिस्वत खोर नेताओं की औलादों को,इस राष्ट्रीय सफलता में मोदी की राजनीति दिखाई दे रही है।औवेसियों,सपाइयों, बसपाइयों,त्रणमूलियों,राजदियों,भाईजानों को, और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्डों ,मुस्लिन संगठनों और चर्च से जुड़े लोगों को,भारत के चंद्रयान की शानदार उपलब्धियां फूटी आंखों नही सुहा रहीं हैं।
चंद्रयान-3 भारत की राष्ट्रीय उपलब्धि है। बेशक इसरो के वैज्ञानिकों को इस अभियान का 99% श्रेय है। किंतु बिना सरकारी सहयोग के अकेला नासा कुछ नही कर सकता। हमें नही भूलना चाहिये कि पंडित जवाहरलाल नेहरु, इंदिराजी, राजीव गाँधी,अटल बिहारी बाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी सरकार ने इस दिशा में भरपूर योगदान दिया है। यह अकाट्य सत्य है।
अंत में*सेटेलाइट लॉंचिंग व्हील* तथा तत्संबंधी तकनीक देने के लिये *सोवियत संघ*(अब रूस) के सहयोग को कोई भी समझदार भारतीय कभी नही भूल सकता। यह सौ फीसदी सच है कि रूस के अलावा दुनिया में किसी ने हमें तकनीक नही दी। हालांकि आज रूस बुरे दौर से गुजर रहा है,किंतु पुराने 'सोवियत संघ' के प्रति हम भारतीय हमेशा आभारी रहेंगे। जय हिंद।
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फिर भी गनीमत है कि मैं जिंदा हूँ

 मेरे प्यारे वतनपरस्तो...

सदा खुश रहो ...
सदा सुखी भव ...
मैं एक संप्रभु राष्ट्र हूँ ! मैं किसी के लिए मातृभूमि हूँ,किसी के लिए मादरे-वतन हूँ ! किसी के लिए सारे 'जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा' हूँ,किसी के लिए अराजक आरक्षण की वैतरणी हूँ ! किसी के लिए उदारीकरण,निजाकरण,भूमंडलीकरण का यूनीफार्म लेविल प्लेइंग फील्ड हूँ ! किसी के लिए मुक्त बाजार हूं,किसीके लिये *लोकतंत्रात्मक धर्मनिरपेक्ष -समाजवादी गणतंत्र* हूँ!किसी के लिए पूंजीपतियों के चंदे से चलता सत्ता प्रतिष्ठान हूँ !
किसी के लिए लूटतंत्र, किसी के लिए *गजवा ए हिंद*,किसी के लिए लव जेहाद का नखलिस्तान, किसी के लिये महज *सल्तनत ए खुरासान* हूँ ! किसी के लिए धर्मांतरण की पवित्र उर्वरा भूमि हूँ ! किसी के लिए महज एक विस्तृत चरागाह हूँ ! आजादी मिलने के बाद मुझे नाहक बैरभावग्रस्त पड़ोसियों से जूझना पड़ रहा है ।पाकिस्तान,चीन की ओर से मुझे हमेशा नफरत,धोखा,शत्रतुता ही मिली! फिर भी गनीमत है कि मैं जिंदा हूँ और न केवल जिंदा बल्कि लोकतांत्रिकता से आबाद हूँ!
दुश्मन देश चाहे कितनी ही कुटिल राजनीति कर ले,किंतु में हमेशा आबाद रहूँगी ! इसीलिए मेरे कुछ चाहने वाले लिख कर परलोक चले गए :-
*कि सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तान हमारा *
"हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहां हमारा*
नोट* जिनको मेरी यह पोस्ट पसंद नही ,उनके विचारों और आपत्तियाें का स्वागत है!
जय हिंद !जय भारत !! जय जय महाकाल!
श्रीराम तिवारी