जब जब अमीरों के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजेगा, तब तब मजदूर किसान स्वत: एकजुट होगा और संघर्षों में शामिल होगा! किंतु यदि कोई मजहबी अल्पसंख्यक समूह एकजुट होकर भारतीय सभ्यता संस्कृति और हिंदुत्व पर हमला करेगा,तो इतिहास से सबक सीखने वाला हरएक हिंदू महाराणा प्रताप की तरह घास की रोटियां खाकर भी अपने वतन की हिफाजत करेगा और अपनी गौरवशाली परंपरा पर मर मिटने को तैयार रहेगा! चुनाव में बार बार हारने वाले दलों को याद रखना चाहिये कि यदि उनका जमीर जिंदा है तौ उन्हेुंं यह सिद्धांत सदा याद रखना चाहिये कि प्रत्येक क्रिया की प्रत्क्रिया भी होती है! उनकी हार का कारण उनकी हिंदू विरोधी मानसिकता ही है!
दुनियां में इन दिनों राष्ट्रवाद और जेहाद की डुगडुगी जोरों से बजाई जा रही है ! भारत में बाहरी घुसपैठियों ने जेहाद करने, पत्थरबाजी बंमबारी करने,हिंदुओं का नाम पूछकर गोली से मारने, किसी का गला रेतने और जेहाद के बहाने कश्मीर से पंडितों को मार भगाने,हिंदू नाम रखकर हिंदू लड़कियों को अपने कपट प्रेम जाल में फसाने वाला वर्ग यदि रोज रोज भारत में पाकिस्तान पाइंदाबाद* के नारे लगाता है एवं *लेके रहेंगे आजादी* के नारे लगाता है, और दुनिया को दिखाने के लिये संविधान संविधान चिल्लाता है,तो इस स्तिथि में अमन शांति की बात करने वाले भी चुप नही बैठेंगे! यदि मुस्लिम नेता टैक्ट्िकल वोटिंग करने का आहवान करेगा तो वोट क्या चीज है ? अपनी अस्मिता बचाने के लिये पीड़ित हिंदू कौम भी वही रास्ता अपना सकती है,एकजुट होकर दुष्टों का मुकाबला कर सकती है!
यह लिखने की जरूरत नही है कि बार बार मजहब और दीन के बहाने निर्धन लुटे पिटे हिंदू भी जाग उठेंगे! भले ही हिंदू, जैन,बौद्ध अहिंसावादी हैं,किंतु एकजुट होकर सड़कों पर नारे तो लगा ही सकते है!स्वाभाविक है कि तब बर्बर हिंसक कौम के खिलाफ विश्व की शांतिकामी शक्तियों भी एकजुट होंगी !अत: अंततोगत्वा जीत अहिंसा सत्य अस्तेय की ही होगी!
क्योंकि *वसुधैव कुटुम्बकं* का मंत्र जाप करने वाले तो करोड़ों हैं,किंतु तब भी अमीर हिंदू ही फायदे में रहेंगे ! आम हिंदू मुस्लिम जनता को संघर्ष में धकेलकर अंबानी अडानी टाटा बिड़ला अजीम प्रेमजी ओवेसी का शेख सैयद मुगल पठान का कुछ न बिगड़ेगा! बल्कि मध्यम वर्ग का हश्र क्या होगा,अल्लाह जाने,ईश्वर जाने.......एक बात पक्की हैकि सर्वहारा वर्ग ही इस साम्प्रदायिक संघर्ष मैं काम आएगा! श्रीराम तिवारी
See insights
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें