चंद्रयान-3 की अपार सफलता ने भारतीय जनमानस को राष्ट्रीयता की भावना से ओतप्रोत कर दिया है। सारी दुनिया भारत और इसरो की मुरीद होती प्रतीत हो रही है।किंतु दुनिया के कई देश इस खबर से या तो हक्के बक्के हैं या बगलें झांक रहे हैं। पाकिस्तान के पत्रकार और अनेक बुद्धजीवी खुले दिल से चंद्रयान 3 की तारीफ कर रहे हैं,किंतु *मदरसा माईंड* लोग चंद्रयान-3 की सफलता को काल्पनिक कहानी बता रहे हैं। भारतीय चंद्रयान की सफलता पर यूरोप,चीन और BBC की बोलती बंद है।
इधर भारत के कुछ विपक्षी नेताओं को,टुकड़े- टुकड़े गेंग को,चाराखोर,रिस्वत खोर नेताओं की औलादों को,इस राष्ट्रीय सफलता में मोदी की राजनीति दिखाई दे रही है।औवेसियों,सपाइयों, बसपाइयों,त्रणमूलियों,राजदियों,भाईजानों को, और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्डों ,मुस्लिन संगठनों और चर्च से जुड़े लोगों को,भारत के चंद्रयान की शानदार उपलब्धियां फूटी आंखों नही सुहा रहीं हैं।
चंद्रयान-3 भारत की राष्ट्रीय उपलब्धि है। बेशक इसरो के वैज्ञानिकों को इस अभियान का 99% श्रेय है। किंतु बिना सरकारी सहयोग के अकेला नासा कुछ नही कर सकता। हमें नही भूलना चाहिये कि पंडित जवाहरलाल नेहरु, इंदिराजी, राजीव गाँधी,अटल बिहारी बाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी सरकार ने इस दिशा में भरपूर योगदान दिया है। यह अकाट्य सत्य है।
अंत में*सेटेलाइट लॉंचिंग व्हील* तथा तत्संबंधी तकनीक देने के लिये *सोवियत संघ*(अब रूस) के सहयोग को कोई भी समझदार भारतीय कभी नही भूल सकता। यह सौ फीसदी सच है कि रूस के अलावा दुनिया में किसी ने हमें तकनीक नही दी। हालांकि आज रूस बुरे दौर से गुजर रहा है,किंतु पुराने 'सोवियत संघ' के प्रति हम भारतीय हमेशा आभारी रहेंगे। जय हिंद।
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