मेरे प्यारे वतनपरस्तो...
सदा खुश रहो ...
सदा सुखी भव ...
मैं एक संप्रभु राष्ट्र हूँ ! मैं किसी के लिए मातृभूमि हूँ,किसी के लिए मादरे-वतन हूँ ! किसी के लिए सारे 'जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा' हूँ,किसी के लिए अराजक आरक्षण की वैतरणी हूँ ! किसी के लिए उदारीकरण,निजाकरण,भूमंडलीकरण का यूनीफार्म लेविल प्लेइंग फील्ड हूँ ! किसी के लिए मुक्त बाजार हूं,किसीके लिये *लोकतंत्रात्मक धर्मनिरपेक्ष -समाजवादी गणतंत्र* हूँ!किसी के लिए पूंजीपतियों के चंदे से चलता सत्ता प्रतिष्ठान हूँ !
किसी के लिए लूटतंत्र, किसी के लिए *गजवा ए हिंद*,किसी के लिए लव जेहाद का नखलिस्तान, किसी के लिये महज *सल्तनत ए खुरासान* हूँ ! किसी के लिए धर्मांतरण की पवित्र उर्वरा भूमि हूँ ! किसी के लिए महज एक विस्तृत चरागाह हूँ ! आजादी मिलने के बाद मुझे नाहक बैरभावग्रस्त पड़ोसियों से जूझना पड़ रहा है ।पाकिस्तान,चीन की ओर से मुझे हमेशा नफरत,धोखा,शत्रतुता ही मिली! फिर भी गनीमत है कि मैं जिंदा हूँ और न केवल जिंदा बल्कि लोकतांत्रिकता से आबाद हूँ!
दुश्मन देश चाहे कितनी ही कुटिल राजनीति कर ले,किंतु में हमेशा आबाद रहूँगी ! इसीलिए मेरे कुछ चाहने वाले लिख कर परलोक चले गए :-
*कि सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तान हमारा *
"हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहां हमारा*
नोट* जिनको मेरी यह पोस्ट पसंद नही ,उनके विचारों और आपत्तियाें का स्वागत है!
जय हिंद !जय भारत !! जय जय महाकाल!
श्रीराम तिवारी
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