80 साल की उम्र के #राजपूत #_राजा__छत्रसाल जब मुगलो से घिर गए,और बाकी राजपूत राजाओं से कोई उम्मीद ना थी तो उम्मीद का एक मात्र सूर्य था " ब्राह्मण बाजीराव बलाड़ पेशवा"
एक राजपुत ने एक ब्राह्मण को खत लिखा:-
जो गति ग्राह गजेंद्र की सो गति भई है आज!
बाजी जात बुन्देल की बाजी राखो लाज!
अगर मुझे पहुँचने में देर हो गई तो इतिहास लिखेगा कि एक #क्षत्रिय_राजपूत ने #मदद मांगी और #ब्राह्मण भोजन करता रहा "-
ब्राह्मण योद्धा बाजीराव बुंदेलखंड आया और फंगस खान की गर्दन काट कर जब राजपूत राजा छत्रसाल के सामने गए तो छत्रसाल से बाजीराब बलाड़ को गले लगाते हुए कहा:-
जग उपजे दो ब्राह्मण: परशु ओर बाजीराव।
एक डाहि राजपुतिया, एक डाहि तुरकाव।।
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