शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

नशा हमे उस व्यक्ति के भीतर के जानवर का दर्शन करा देता है

 "मनुष्य का असली चरित्र तब सामने आता है जब वो नशे में होता है !

फिर नशा चाहे धन का हो,पद का हो,रूप का हो या शराब का !!"
मनुष्य वह है, जो मनन कर सके (मन्यति इति मनुष्य:) । नशा व्यक्ति की मनन करने की क्षमता ही छीन लेता है इसलिए उस वक्त वह मनुष्य न रहकर केवल एक प्राणी मात्र रह जाता है।
इसलिए जो व्यक्ति नशे में है उसे मनुष्य नही आदमी, इंसान, प्राणी या केवल एक जानवर कहना अधिक उचित है।
रही बात चरित्र की तो चरित्र को व्यक्ति (पात्र) संभाल ही तब सकता है जब मन सम्भला हुआ हो नशे में यह सम्भव नही अतः जो आपको नशे में दिखता है वह केवल उसके अंदर का जानवर है।
हाँ नशा हमे उस व्यक्ति के भीतर के जानवर का दर्शन करा देता है यह बात बिल्कुल उचित है। यह हमारे लिए बहुत लाभदायक होता है । यदि हम जिस व्यक्ति के साथ हैं उसके भीतर के जानवर को पहचानते हैं तो हम उस जानवर से सतर्क रहने और उसे संभालने की कम से कम मानसिक तैयारी कर सकते हैं।

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