एक दिन सरदार भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद से हंसते हुए कहा -
"पंडित जी! आपके लिए अंग्रेजों को दो रस्सों की जरूरत पड़ेगी। एक आपकी मोटी कमर के लिए और दूसरी आपकी गर्दन के लिये।
"सुनो भगत! यह रस्सा- फस्सा तुम लोग अपने लिए रखो, मेरे पास जब तक यह बमतुल बुखारा (पिस्टल) है, तब तक कोई अंग्रेज मुझे छू नहीं सकता। पंद्रह गोलियां उन पर दागूंगा, सोलहवी से खुद को उड़ा लूंगा।
मरेंगे तो भी आजाद, जिएंगे तो भी #आजाद।"
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